विश्व धरोहर स्थल एक ऐसा स्थान होता है जो अपने विशेष सांस्कृतिक या भौतिक महत्व के लिए यूनेस्को UNESCO द्वारा सूचीबद्ध किया जाता है। विश्व धरोहर स्थलों की सूची को ‘अंतर्राष्ट्रीय विश्व धरोहर कार्यक्रम’ (International World Heritage Programme) द्वारा बनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (The United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization – UNESCO) का मुख्य उद्देश्य, मानवता के लिए अत्यधिक मुल्यवान माने जाने वाली दुनिया भर की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत की पहचान कर उनका संरक्षण करना और संरक्षण को प्रोत्साहित करना है। यूनेस्को विश्व विरासत सम्मेलन जो 1972 में स्थापित किया गया था, ने दुनिया भर में सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व के विभिन्न स्थलों को मान्यता दी है। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में नवीनतम वृद्धि के बाद, भारत में अब 40 विश्व धरोहर स्थल हैं, जो भारत को विश्व का 6 वा सबसे बड़ा, विश्व धरोहर स्थलों वाले देश बनाता हैं। यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त 40 स्थलों में से, 32 सांस्कृतिक स्थल, 7 प्राकृतिक स्थल और 1 मिश्रित स्थल हैं।
भारत के 40 यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची इस प्रकार है:
भारत में 32 सांस्कृतिक विश्व विरासत स्थल हैं।
- ताजमहल, आगरा (1983)
- अजंता गुफाए, महाराष्ट्र (1983)
- एलोरा गुफाएं, महाराष्ट्र (1983)
- आगरा फोर्ट, उत्तर प्रदेश (1984)
- महाबलीपुरम के स्मारक, तमिलनाडु (1984)
- सूर्ये मंदिर, कोर्णाक ओडिशा (1984)
- खजुराहों, मध्य प्रदेश (1986)
- चर्च और कॉन्वेंट गोवा (1986)
- हम्पी, कर्नाटक (1986)
- फतहेपुर सिकरी, उत्तर प्रदेश (1986)
- पत्तदकल स्मारक परिसर, कर्नाटक (1987)
- एलीफैंटा की गुफाएं, महाराष्ट्र (1987)
- चोला मंदिर, तमिलनाडु (1987, 2004)
- बौद्ध स्मारक साँची, मध्य प्रदेश (1989)
- हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली (1993)
- कुतुब मीनार और इसके स्मारक, दिल्ली (1993)
- माउंटेन रेलवेज, इंडिया (1999, 2005, 2008)
- महाबोधि मंदिर, बोध गया, बिहार (2002)
- भीमबेटका शैलाश्रय, मध्य प्रदेश (2003)
- चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क, गुजरात (2004)
- छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस), महाराष्ट्र (2004)
- लाल किला काम्प्लेक्स, दिल्ली (2007)
- जंतर मंतर, जयपुर राजस्थान (2010)
- पहाड़ी किले, राजस्थान (2013)
- रानी की वाव, पाटन, गुजरात (2014)
- नालंदा महाविहार (नालंदा विश्वविद्यालय), बिहार (2016)
- कैपिटल कॉम्प्लेक्स, चंडीगढ़ (2016)
- ऐतिहासिक शहर, अहमदाबाद (2017)
- द विक्टोरियन और आर्ट डेको, मुंबई (2018)
- पिंक सिटी – जयपुर (2019)
- काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर – तेलंगाना (2021)
- धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर – गुजरात (2021)
भारत में 7 प्राकृतिक विश्व विरासत स्थल हैं।
- काजीरंगा वाइल्ड लाइफ सैंचुअरी, असम (1985)
- केवलादेव नेशनल पार्क, भरतपुर, राजस्थान (1985)
- मानस वाइल्ड लाइफ सैंचुअरी, असम (1985)
- सुंदरबन नेशनल पार्क, पश्चिम बंगाल (1987)
- नंदा देवी और फूलों की घाटी नेशनल पार्क, उत्तराखंड(1988, 2005)
- पश्चिमी घाट (2012)
- ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, हिमाचल प्रदेश (2014)
भारत में 1 सांस्कृतिक और प्राकृतिक मिश्रित विश्व विरासत स्थल हैं।
- कंचनजंगा नेशनल पार्क, सिक्किम (2016)
ताजमहल, आगरा / Tajmahal, Agra (1983)
दुनिया के सात अजूबों में से एक, सफेद संगमरमर से बना मुगल वास्तुकला का अनूठा अद्भुत नमूना ताजमहल। सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी, मुमताज महल की याद में ताजमहल को बनवाया था। यह आगरा में यमुना नदी के तट पर स्थित है। इसे दुनिया भर में मुगल वास्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण माना जाता है। ताजमहल को 1983 में “भारत में मुस्लिम कला का गहना” (the jewel of Muslim art in India) होने के लिए यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामांकित किया गया था।
अजंता गुफाए, महाराष्ट्र / Ajanta Caves, Maharashtra (1983)
भारत के पहले विश्व धरोहर स्थलों में से एक, अजंता की गुफाएँ दूसरी शताब्दी BC से 650 ईसा पूर्व के आसपास की हैं और इनमें 31 रॉक-कट बौद्ध गुफा स्मारकों, चित्रों और मूर्तिकला की सबसे सुंदर कृतियाँ शामिल हैं। यह पहली बौद्ध गुफा स्मारक है। भारतीय कला और वास्तुकला के क्रांतिकारी विकास का प्रभाव अजंता की कला और वास्तुकला की शैली मे भी दिखता है। इन गुफाओं मे बुद्ध के जीवन से संबंधित नक्काशी और मूर्तियां है।
एलोरा गुफाएं, महाराष्ट्र / Ellora Caves, Maharastra (1983)
एलोरा की गुफाएँ भारत का एक प्रसिद्ध विश्व धरोहर स्थल और एक पुरातात्विक स्थल हैं, जो औरंगाबाद शहर से 29 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित हैं। एलोरा की गुफाएँ अपने रॉक-कट वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ लगभग 34 रॉक-कट मंदिर और गुफाएं हैं जो लगभग 600 से 1000 ईस्वी पूर्व की जा सकती हैं। हिंदू, बौद्ध और जैन मंदिरों और मूर्तियों की मौजूदगी यह दर्शाती है, जो प्राचीन विश्व इतिहास में विभिन्न धर्मों और मान्यताओं मे विश्वास था। एलोरा का कैलाश मंदिर यहाँ सबसे प्रसिद्ध है। एलोरा की गुफाओं, 1983 से यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल है।
आगरा फोर्ट, उत्तर प्रदेश / Agra Fort, Uttar Pradesh (1984)
ताजमहल के काफी करीब स्थित, आगरा किला मुगल साम्राज्य द्वारा निर्मित महत्वपूर्ण स्मारकीय संरचनाओं में से एक है। हालांकि मुगल काल में अकबर के समय में स्थापित, आगरा किला तैमूर की फारसी कला और भारतीय वास्तुकला का एक संगम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह किला मूल रूप से राजा बादल सिंह, एक हिंदू शिकारी राजपूत राजा द्वारा बनवाया गया था, जिसे बादलगढ़ के नाम से जाना जाता था। आक्रमण के बाद, सिकंदर लोदी आगरा में स्थानांतरित होने और किले में रहने वाला दिल्ली का पहला सुल्तान था।
महाबलीपुरम के स्मारक, तमिलनाडु / Group of Monuments at Mahabalipuram, Tamilnadu (1984)
चेन्नई से लगभग 58 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर यह मंदिर महाबलीपुरम शहर में स्थित हैं। इन मंदिरों का निर्माण पल्लव शासकों के शासनकाल में हुआ था और इन मंदिरों की खासियत यह है कि ये सभी चट्टान से उकेरे गए हैं और भारत में रथ वास्तुकला के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। स्मारक के समूह में 40 अभयारण्य शामिल हैं। भारत में इन विश्व धरोहर स्थलों में पल्लव काल की कला जैसे पंच रथ, धर्मराज रथ, अर्जुन रथ, द्रौपदी रथ, इत्यादि हैं।
सूर्ये मंदिर, कोर्णाक ओडिशा / Sun Temple, Konarak (1984)

कोणार्क सूर्य मंदिर ओडिशा के कोणार्क में स्थित 13 वीं शताब्दी का मंदिर है। इसे 1250 AD के आसपास पूर्वी गंगा राजवंश के राजा नरसिम्हदेव प्रथम द्वारा बनवाया गया था। सूर्य मंदिर एक विशाल रथ के आकार का है जिसमें दोनों तरफ 12 नक्काशीदार पत्थर के पहियों दो पंक्तियाँ, खंभे और दीवारें हैं और इसका नेतृत्व छह विशाल नक्काशीदार घोड़े करते है। भारत में यह विश्व विरासत स्थल कलिंग वास्तुकला की पारंपरिक शैली की भव्यता को दर्शाता है, जो उस समय प्रचलित थी ।
खजुराहों, मध्य प्रदेश / Khajuraho Group of Monuments (1986)
खजुराहो भारत का एक प्रसिद्ध यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो मध्य प्रदेश में स्थित। खजुराहो एक अद्वितीय विरासत स्थल है जो झांसी से कुछ दूर स्थित हिंदू और जैन मंदिरों के समूह के लिए प्रसिद्ध है। वे अपने नागर शैली (Nagara style) के प्रतीक और कामुक आकृतियों और मूर्तियों के लिए जाने जाते हैं। 1986 में इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
चर्च और कॉन्वेंट, गोवा / Churches and Convents of Goa (1986)
15 वीं और 16 वीं शताब्दी में पुर्तगाली भारत आए, और वह भारत के दक्षिण-पश्चिमी भाग में कोंकण तट के साथ गोवा में बस गए। पुर्तगालियों के आगमन के कारण ही भारतीय उपमहाद्वीप में ईसाई धर्म का विस्तार हुआ और कई चर्चों और कॉन्वेन्ट्स का गोवा में निर्माण हुआ जिसने ईसाई धर्म के प्रचार मे सहायता की। साथ ही सुंदर वास्तुशिल्प कला के कारण, 1986 मे इन चर्चों को भारत में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है। चर्च ऑफ आवर लेडी ऑफ द रोजरी, चर्च और कॉनवेंट ऑफ सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी, सेंट कैथरीन चैपल, चर्च ऑफ सेंट कैजेटन, चर्च ऑफ सेंट ऑगस्टाइन कुछ प्रसिद्ध चर्च है।
हम्पी, कर्नाटक / Group of Monuments at Hampi (1986)
कर्नाटक के उत्तरी भाग में स्थित, हम्पी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। यह विजयनगर के प्राचीन, समृद्ध राज्य के खंडहरों में स्थित है। हम्पी के खंडहर विरासत स्थलों का एक संग्रह है जो कला और वास्तुकला की उत्कृष्ट द्रविड़ शैली का चित्रण करते हैं। इस स्थल में सबसे महत्वपूर्ण धरोहर स्मारक विरुपाक्ष मंदिर है, जो हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है।
फतहेपुर सिकरी, उत्तर प्रदेश/ Fatehpur Sikri, Uttar Pradesh (1986)
शहर का नाम (फतेहपुर) सवयं ही चित्तौड़ और रणथंभौर पर अकबर की जीत को बताता है। फतेहपुर सीकरी में चार मुख्य स्मारक हैं। जामा मस्जिद, बुलंद दरवाजा, (जो कि एशिया का सबसे महत्वपूर्ण दरवाजा है, ऑस्ट्रेलिया से आयात एक विशिष्ट लकड़ी से बना है जो पानी में डूब जाएगा),जादा बाई का महल और पंच महल जिसे नवरत्नों (बीरबल, तानसेन, आदि) का मूल स्थान भी माना जाता है। बुलंद दरवाजा के आंतरिक भाग में सलीम चिश्ती का मकबरा है। ये सभी मुगल इमारतें 1986 से भारतीय विश्व विरासत स्थल है।
पत्तदकल स्मारक परिसर, कर्नाटक / Group of Monuments at Pattadakal, Karnataka (1987)
पत्तदकल 1987 एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और कर्नाटक में स्थित एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यह अपनी चालुक्य शैली (Chalukya style) की वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है जो ऐहोल में उत्पन्न हुई और नगाड़ा और द्रविड़ वास्तुकला शैली के साथ मिश्रित हुई। चालुक्य शासकों द्वारा निर्मित कई मंदिर उल्लेखनीय है, इसमें भगवान शिव और जैन और शैव समुदायों को समर्पित आठ मंदिर शामिल हैं। प्रसिद्ध स्मारक हैं- विरुपाक्ष मंदिर, संगमेश्वर मंदिर, चंद्रशेखर मंदिर, मल्लिकार्जुन मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, जैन मंदिर और कई अन्य।
एलीफैंटा की गुफाएं, महाराष्ट्र / Elephanta Cave, Maharashtra (1987)

एलिफेंटा गुफाएं अरब सागर में एक द्वीप पर स्थित हैं, जो मुंबई शहर से 10 किलोमीटर दूर है। एलीफेंटा द्वीप पर स्थित मूर्तियों की श्रृंखला को घारपुरी के नाम से भी जाना जाता है। ये गुफाएं अपनी रॉक-कट मूर्तियों और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं जो शिव को निर्माता और ब्रह्मांड के विनाशक के रूप में दर्शाती हैं। यहाँ सभी गुफाओं में सबसे महत्वपूर्ण गुफा 1 है, जहाँ कोई भी गुफा के प्रवेश द्वार पर सदाशिव को देख सकता है, जिसमें शिव के तीन पक्षों को दर्शाया गया है: निर्माता, संरक्षक और विनाशक के रूप में।
चोला मंदिर, तमिलनाडु / Great Living Chola Temples, Tamilnadu (1987, 2004)
यह मंदिर चोल साम्राज्य के शासन के दौरान भारत के दक्षिण में तमिलनाडु में बनाया गया था। बृहदिश्वर मंदिर, गंगईकोंडाचोलपुरम मंदिर और ऐरावतेश्वर मंदिर इन सभी मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण हैं। बृहदिश्वर मंदिर “राजराजा चोला 1” के शासनकाल में बनाया गया था और यह चोल वास्तुकला के लिए एक मील का पत्थर है। बृहदिश्वर के मंदिर परिसर के हिस्सों को 1987 में विश्व विरासत संपत्ति घोषित किया। ऐरावतेश्वर मंदिर “राजराजा द्वितीय” के समय में बनाया गया था, यह भगवान शिव को समर्पित था और गंगईकोंडचोलपुरम में मंदिर “राजेंद्र 1” द्वारा संरक्षित था।
बौद्ध स्मारक साँची, मध्य प्रदेश / Buddhist Monuments at Sanchi (1989)

मध्य प्रदेश के भोपाल से 46 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में, सांची में स्थित बौद्ध स्मारक भारत की विरासत हैं, और ये भारत की सबसे पुरानी पत्थर की संरचनाएँ हैं, जिसे सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया गया था। इसका मूल बुद्ध के अवशेषों पर निर्मित एक गोलार्द्ध की ईंट की संरचना है जिसे ऊपर छतर है। सांची के स्तूप के अलावा, यहां कई अन्य संरचनाएं मौजूद हैं, जैसे अखंड स्तंभ, मंदिर, महल और मठ। 1989 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का घोषित किया गया।
हुमायूँ का मकबरा, दिल्ली / Humayun’s Tomb, New Delhi (1993)
इस वर्ल्ड हेरिटेज साइट का निर्माण हुमायूँ की पहली पत्नी हमीदा बानो बेगम (Hamida Banu Begum) ने अपने मृत पति की याद में करवाया था। इसके निर्माण में नौ साल का समय लगा, यह वर्ष 1565 में शुरू हुआ और वर्ष 1572 में पूरा हुआ।1993 में मकबरे को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था, और तब से यहाँ व्यापक तौर पर संरक्षण का काम हुआ है, जो काफी हद तक पूरा हो गया है।
कुतुब मीनार और इसके स्मारक, दिल्ली / Qutub Minar and its Monuments, New Delhi (1993)
कुतुब मीनार भारत के सबसे प्रसिद्ध विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। जो दिल्ली के अंतिम हिंदू साम्राज्य की हार के बाद 1193 में दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा बनाया गया था। यह मुख्य रूप से इसकी ऊंचाई के कारण चर्चा का विषय है। यह 73 मीटर लंबा है और इसका आधार पर 15 मीटर और शीर्ष पर 2.5 मीटर का व्यास है। ये स्मारक भारत में इस्लामी वास्तुकला के सबसे पहले ज्ञात प्रतीकों में से एक हैं। 1993 में इसे विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया।
11 Interesting and amazing facts of Qutub Minar hindi / कुतुब मीनार के अद्भुत तथ्य
माउंटेन रेलवेज, इंडिया / Mountain Railways of India (1999, 2005, 2008)
भारत की पर्वतीय रेलवे दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (1999), नीलगिरि पर्वतीय रेलवे (2005) और कालका-शिमला रेलवे (2008) से भारत में विश्व धरोहर स्थलों का एक हिस्सा हैं। फन टॉय ट्रेन, खूबसूरत चाय बागान और लंबी सुरंग या टाइगर हिल्स, ये सभी इनके रोमांचक पॉइंट है। 19 वीं और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में निर्मित, ये इंजीनियरिंग चमत्कार बीहड़ पहाड़ों का भारत के अन्य भाग से, संपर्क की समस्या का एक साहसिक और सरल समाधान थे।
महाबोधि मंदिर, बोध गया, बिहार / Mahabodhi Temple Complex at Bodh Gaya (2002)

बिहार, पटना से लगभग 96 किलोमीटर दूर स्थित बोध गया, यूनेस्को (UNESCO) द्वारा मान्यता प्राप्त भारतीय विरासत स्थलों में से एक है। यह बौद्धों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है क्योंकि यह वह स्थान था जहाँ महात्मा बुद्ध ने आत्मज्ञान प्राप्त किया था। पवित्र बोधि वृक्ष वह स्थल है जहाँ सिद्धार्थ ने ज्ञान प्राप्त किया और गौतम बुद्ध बन गए। इस प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर की स्थापना महान अशोक के शासनकाल में हुई थी। यह सबसे प्राचीन बौद्ध मंदिरों में से एक है। महाबोधि मंदिर को 2002 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
भीमबेटका शैलाश्रय, मध्य प्रदेश / Rock Shelters of Bhimbetka, Madhya Pradesh(2003)

दक्कन के पठार में विंध्य पर्वत की तलहटी में स्थित, 2003 में घोषित एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, भीमबेटका का रॉक शेल्टर वह स्थान है जहाँ भारतीय उपमहाद्वीप पर मानव जीवन के शुरुआती निशान खोजे गए थे। यह एक पुरातात्विक स्थल हैं जहाँ से दक्षिण एशियाई पाषाण युग की शुरुआत का संकेत मिलता है। रॉक शेल्टर में 5 चट्टानों का एक समूह शामिल है जो 1957 में खोजे गए थे, जो पाषाण युग की नक्काशी और चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये चित्र हमें उस काल में शिकार करने वाले शिकारी के जीवन और गतिविधियों के बारे में बताने में सहायक हैं।
चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क, गुजरात / Champaner-Pavagadh Archaeological Park, Gujarat (2004)
चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व पार्क एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो भारत के गुजरात राज्य के पंचमहल जिले में स्थित है। गुजरात के सुल्तान महमूद बेगड़ा द्वारा निर्मित चंपानेर या मुहम्मदाबाद शहर के आसपास केंद्रित, एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह स्थान एकमात्र पूर्ण अपरिवर्तित इस्लामिक पूर्व-मुगल शहर है। चंपानेर-पावागढ़ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अभी भी अस्पष्ट है। इसमें 11 अलग-अलग प्रकार के विरासत स्मारक शामिल हैं, जो हैं- मस्जिद, मंदिर, मकबरे, द्वार, किले और दीवारें, महलों और मंडप, पेचदार कुएं, कस्टम घर। पार्क में पाषाण युग से कुछ प्राचीन चालकोलिथिक भारतीय साइटें (Chalcolithic Indian Sites) भी हैं।
छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस), महाराष्ट्र / Chhatrapati Shivaji Maharaj Terminus (2004)

छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, जिसे पहले विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से जाना जाता था, मुंबई में मध्य रेलवे का मुख्यालय है। इसे फ्रेडरिक विलियम स्टीवंस ने 1878-1888 के बीच विक्टोरियन इटैलियन गॉथिक रिवाइवल आर्किटेक्चर और पारंपरिक मुगल इमारतों से प्रेरणा लेकर बनाया था। कई कारणों जैसे प्रदूषण, यातायात, निर्माण कार्य इत्यादि के कारण इस साइट को नुकसान हो रहा है। इस धरोहर स्थल के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए और काम किए जाने की जरूरत है।
लाल किला काम्प्लेक्स, दिल्ली / Red Fort Complex (2007)
ऐतिहासिक शहर दिल्ली के केंद्र में स्थित है, लाल किले का निर्माण सम्राट शाहजहाँ द्वारा किया गया था, जब उन्होंने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था, या उस समय शाहजहानाबाद के नाम से जाना जाता था। शाहजहाँ के अधीन, मुगल कला और वास्तुकला अपने चरम पर पहुंच गयी, और लाल किला इसका आदर्श उदाहरण है। लाल किला भारत के सबसे प्रसिद्ध यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में से एक है और इसका प्रबंधन सीधे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षरण द्वारा किया जाता है। 2007 इसे विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया।
जंतर मंतर, जयपुर राजस्थान/ Jantar Mantar, Jaipur, Rajasthan (2010)
जंतर मंतर एक खगोलीय वेधशाला (Astronomical Observatory) है जिसे राजस्थान के राजपूत राजा सवाई जय सिंह ने 1738 ईस्वी में बनाया था। यह एक खगोलीय वेधशाला है यह 19 खगोलीय उपकरणों (Astronomical Instruments) का संग्रह है, जिसमें दुनिया का सबसे बड़ा पत्थर सुंडियाल (Stone Sundial) भी शामिल है। ये सभी यंत्र मानव निर्मित हैं। वेधशाला में ऐसे उपकरण होते हैं जिनका उपयोग आकाशीय गतिविधियों की गणना के लिए किया जाता था। भारत की सर्वश्रेष्ठ संरक्षित वेधशालाओं में से एक, यह स्मारक वैज्ञानिक के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
पहाड़ी किले, राजस्थान / Hill Forts of Rajasthan (2013)
भारत में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में हाल ही मे जोड़े गए में से एक, यह किले अपने अनोखे राजपूत सैन्य रक्षा कला के लिए प्रसिद्ध है। इसमें चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़, रणथंभौर किला, गागरोन किला, अंबर किला और जैसलमेर, किले में छह राजसी किले शामिल हैं। वे राजस्थान में चट्टानी अरावली पर्वत श्रृंखला पर स्थित हैं। किलों की लंबाई और विस्तार राजपूताना के शासकों की शक्ति परिचय है। यह किले इतने शक्तिशाली थे, कि किले की दीवारों के भीतर, ऐसा था की जैसे कोई छोटा शहर मौजूद हो। कई बाजार, महल, मंदिर और व्यापारिक केंद्र आदि। इसके अलावा, इन किलों में अद्भुत जल भंडार थे, जो वास्तव में आज भी उपयोग की जा रही हैं। यह फिल्म की शूटिंग लोकेशन के लिए भी जाने जाते है।
रानी की वाव, पाटन, गुजरात / Rani Ki Vav, Patan, Gujarat (2014)

कथाओं के अनुसार सोलंकी राजवंश के समय के दौरान निर्मित ‘रानी-की-वाव”, भीमदेव 1 के सम्मान और स्मृति में, जो परिवार के संस्थापक थे, उनकी विधवा रानी उदयमति द्वारा बनवाया गया था। हाल ही में इसे 2014 में यूनेस्को की विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया गया था। रानी-की-वाव अपने स्टेप्ड कॉरिडोर, मूर्तियां और कुए में की गई नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। कुएं में अधिकांश मूर्तियां भगवान विष्णु को उनके दस अवतारों के रूप में समर्पित हैं, जो दुनिया में उनकी वापसी का संकेत देते हैं। पानी के भंडारण के लिए एक जगह होने के अलावा, इस वाव का एक आध्यात्मिक अर्थ भी है। इसे एक उल्टे मंदिर के रूप में डिज़ाइन किया गया है।
नालंदा महाविहार (नालंदा विश्वविद्यालय), बिहार / Nalanda Mahavihara (Nalanda University), Bihar

बिहार में नालंदा पुरातात्विक स्थल 3 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 13 वीं शताब्दी ईस्वी तक सीखने का केंद्र और बौद्ध मठ था। इस परिसर में चारों ओर स्तूपों, मंदिरों और विहारों के अवशेष देखे जा सकते है। नालंदा ने बौद्ध धर्म के विकास में अहम योगदान दिया और 800 वर्षों तक यह ज्ञान का निवास बना रहा। यह बिहार में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त दूसरा विश्व धरोहर स्थल है, 2009 मे इससे विश्व धरोहर स्थल की सूची मे शामिल किया गया।
कैपिटल कॉम्प्लेक्स, चंडीगढ़ / Capital Complex, Chandigarh (2016)

चंडीगढ़ में कैपिटल कॉम्प्लेक्स हरियाणा और पंजाब, उच्च न्यायालय और सचिवालय दोनों राज्यों के लिए विधान सभा की मेजबानी करता है। चंडीगढ़ के सेक्टर 1 में स्थित, यह कैपिटल कॉम्प्लेक्स तब बनाया गया था जब भारत के विभाजन के बाद 1950 में चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी के रूप में विकसित किया जा रहा था। कई देशों में ले कोर्बुज़ियर (Le Corbusier) के वास्तुशिल्प कार्य को आधुनिक आंदोलन में उत्कृष्ट योगदान के रूप में विश्व विरासत स्थल के रूप में मान्यता दी गई थी। चंडीगढ़ के कैपिटल कॉम्प्लेक्स को भी यह मान्यता प्राप्त है।
ऐतिहासिक शहर, अहमदाबाद / The Historic City of Ahmedabad (2017)
अहमदाबाद इस सूची में प्रवेश करने वाला भारत का पहला शहर है, जिसको 8 जुलाई, 2017 को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी (World Heritage City) घोषित किया गया था। अहमदाबाद शहर के पास 25 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI – Archaeological Survey of India) संरक्षित संरचनाएँ हैं। अहमदाबाद साबरमती के तट पर बसा शहर है जहां हिंदू, इस्लाम और जैन धर्म के अनुयायी सदियों बाद भी साथ हैं
द विक्टोरियन और आर्ट डेको, मुंबई / The Victorian and Art Deco Ensemble of Mumbai (2018)

जून 2018 में मुंबई का विक्टोरियन और आर्ट डेको, हेरिटेज साइट्स की सूची में जोड़ा गया। यह महान सांस्कृतिक महत्व की 94 इमारतों का एक संग्रह है, जो कि मुंबई के फोर्ट एरिया में ओवल मैदान Oval Maidan के चारों ओर स्थित है, जिसे पहले एस्प्लेनेड (Esplanade) के रूप में जाना जाता था। ओवल को 19 वीं सदी के विक्टोरियन नियो-गोथिक निर्माणों द्वारा बनाया गया, जैसे बॉम्बे हाईकोर्ट, द फोर्ट कैंपस ऑफ मुंबई विश्वविद्यालय और ओल्ड सेक्रेटेरिएट बिल्डिंग आदि। राजाबाई क्लॉक टॉवर के साथ वाटसन के होटल, डेविड ससून लाइब्रेरी और एल्फिंस्टन कॉलेज भी एनसेंबल के विक्टोरियन का भी हिस्सा है।
पिंक सिटी, जयपुर / The Pink City- Jaipur (2019)
भारत में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में सबसे नया है जयपुर, 6 जून 2019 को ये क्लब में शामिल हो गया। यह भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक है इससे गुलाबी शहर (pink ) भी कहते है जो सुंदर गुलाबी रंग की दीवारों और दरवाजों से घिरा हुआ है। आमेर फोर्ट और जंतर मंतर, जयपुर सहित कुछ अन्य यूनेस्को विश्व विरासत स्थलों का घर यह शहर शानदार किलों, महलों, मंदिरों और संग्रहालयों का घर है। जयपुर शहर सफलतापूर्वक अपने पुराने-विश्व आकर्षण को बनाए रखने में सफल रहा है।
काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर – तेलंगाना (2021)

रामप्पा मंदिर के नाम से लोकप्रिय रुद्रेश्वर मंदिर दक्षिण भारत में तेलंगाना के पालमपेट गांव में स्थित है। 800 साल पुराना रुद्रेश्वर मंदिर, हाल ही में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया है। यह काकतीय साम्राज्य (Kakatiya empire) के शासनकाल के दौरान निर्मित एक शिव मंदिर है।
इस शिव मंदिर का नाम रामप्पा के नाम पर रखा गया है, जो इस मंदिर के मुख्य वास्तुकार थे जिन्होंने मंदिर के निर्माण के समय 14 वर्षों तक कड़ी मेहनत की थी।मंदिर अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है, जैसे कि इसकी छत, यह छत ऐसे पत्थरों से बनी जो पानी पर तैरते है। इस मंदिर में खम्बों पर शानदार मूर्तियों की नक्काशी की गई है जो काकतीय रीति-रिवाजों और संस्कृति को दर्शाती हैं साथ ही यहाँ कुछ ऐसे खंबे है जिन्ह पर टैप करने पर संगीतमय स्वर निकलता है।
धोलावीरा एक हड़प्पा शहर – गुजरात (2021)
गुजरात के कच्छ में, धोलावीरा का प्राचीन हड़प्पा शहर, दक्षिण एशिया के सबसे प्रसिद्ध और अच्छी तरह से संरक्षित शहरी बस्तियों में से एक है, जो तीसरी से दूसरी सहस्राब्दी ईसा millennium BCE पूर्व (सामान्य युग से पहले) तक है। यह अब तक खोजे गए 1,000 से अधिक हड़प्पा स्थलों में छठा सबसे बड़ा है। यह स्थल अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण सबसे अलग है, जैसे कि इसकी जल प्रबंधन प्रणाली, बहुस्तरीय रक्षात्मक तंत्र, सुनियोजित सड़कें, निर्माण तकनीक और विशेष दफन संरचनाएं। खुदाई के दौरान मिले तांबे, हाथी दांत, खोल और पत्थर, अर्ध-कीमती पत्थर के गहने, टेराकोटा के बर्तन और सोने के आभूषणों से बनी कलाकृतियाँ, मानवता की विरासत के बेहतरीन उदाहरण हैं। धोलावीर प्रारंभिक मानवीय सभ्यता के उत्थान और पतन का गवाह है। धोलावीरा की अच्छी तरह से संरक्षित शहरी बस्ती की विशिष्ट विशेषताओं और समृद्ध इतिहास के कारण ही 2021 में इसे विश्व घरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया है।
दुनिया के 11 लुप्त हो चुके शहर
काजीरंगा वाइल्ड लाइफ सैंचुअरी, असम/ Kaziranga Wild Life Sanctuary, Assam (1985)
काजीरंगा वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी ( Kaziranga Wildlife Sanctuary) असम में स्थित है और भारत में अछूते प्राकृतिक क्षेत्रों में से एक है। यह मुख्यता अपने एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध हैं। ऐसा कहा जाता है कि भारत में यह विश्व धरोहर स्थल, लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon) द्वारा शुरू की गई एक योजना थी, जब उनकी पत्नी इस क्षेत्र में एक भी गैंडे को देखने में विफल रही और अपने पति से इन लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के बारे में कुछ कदम उठाने का आग्रह किया। काजीरंगा में लगभग 15 लुप्तप्राय भारतीय जीव प्रजातियाँ हैं, जिनमें से राइनो सबसे अधिक लुप्तप्राय है। अन्य स्तनधारियों में कैप्ड लंगूर, हूलॉक गिब्बन, टाइगर, तेंदुआ, गंगा डॉल्फिन, जंगली सूअर,भैंस, गौर, सांभर, दलदल हिरण और हॉग हिरण शामिल हैं।
केवलादेव नेशनल पार्क, भरतपुर, राजस्थान / Keoladeo National Park, Bharatpur, Rajasthan (1985)

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर बर्ड सैंक्चुअरी के रूप में भी जाना जाता है, यह राजस्थान मे स्थित है। पक्षियों की लगभग 366 विभिन्न प्रजातियों का ये घर, कई प्रवासी पक्षियों के लिए सर्दियों मे घोंसले का मैदान बन जाता है। प्रारंभ में एक बतख शूटिंग ग्राउंड था पर बाद में पूरी तरह से मानव निर्मित और मानव-प्रबंधित स्थान के रूप में विकसित हुआ। शिकार अब इस क्षेत्र में प्रतिबंधित है और दंडनीय अपराध है। पक्षियों के अलावा, 379 पुष्प प्रजातियाँ, मछली की 50 प्रजातियाँ, साँप की 13 प्रजातियाँ, छिपकली की सात प्रजातियाँ, उभयचर की सात प्रजातियाँ, सात कछुए की प्रजातियाँ और अन्य कई प्रजातियों की विविधताएँ हैं। यह जगह भारत की समृद्ध जैविक विरासत है।
मानस वाइल्ड लाइफ सैंचुअरी, असम / Manas Wild Life Sanctuary, Assam (1985)

मानस वन्यजीव अभयारण्य एक संरक्षित वन्यजीव रिज़र्व है और 1985 से भारत में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। यह भारतीय राज्य असम में स्थित है। यह नाम मानस नदी से उत्पन्न हुआ है जो देवी मानसा के नाम से लिया गया है। आसपास के क्षेत्रों में हरे-भरे जंगलों वाली पहाड़ियों और घनी वनस्पतियां, यहां रहने वाले जानवरों की कई लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए एक उत्तम वातावरण प्रदान करती हैं। असम रूफर्ड टर्टल, हिसपिड खरगोश, गोल्डन लंगूर और पैगी हॉग जैसी कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है। वास्तव में, इस पार्क में भारत में किसी भी अन्य की तुलना में सबसे अधिक लुप्तप्राय प्रजातियां हैं।
सुंदरबन नेशनल पार्क, पश्चिम बंगाल / Sundarbans National Park, West Bengal (1987)

रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध, सुंदरबन नेशनल पार्क एक प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व और एक बायोस्फीयर रिजर्व है जो भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है। यह बंगाल की खाड़ी में गंगा नदी द्वारा निर्मित सुंदरबन डेल्टास पर स्थित है। यह भारत में सबसे अधिक घने मैंग्रोव वनों द्वारा कवर है। यह दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव फॉरेस्ट रिजर्व है। गंभीर रूप से लुप्तप्राय रॉयल बंगाल टाइगर के साथ यहाँ अन्य जानवरों की प्रजातियाँ भी हैं। दुर्लभ खारे पानी का मगरमच्छ इस रिजर्व का एक और आकर्षण है। भारत की बाघों की आबादी इस स्थान पर अधिकतम है।
नंदा देवी और फूलों की घाटी नेशनल पार्क, उत्तराखंड / Nanda Devi and Valley of Flowers National Parks, Uttarakhand (1988,2005)

नंदा देवी उत्तराखंड की सबसे ऊँची पर्वत चोटी और भारत की सबसे ऊँची पर्वत चोटी भी है। पुराणों और उपनिषदों के युग से इसका महत्व है। यह समुद्र तल से 6400 मीटर की ऊंचाई तक है। नंदा देवी शिखर के पास, एक फूलों की घाटी, राष्ट्रीय उद्यान है जो लंबाई में 8 किलोमीटर और चौड़ाई 2 किलोमीटर तक फैला है। यह फूलों की आश्चर्यजनक विविधता के लिए प्रसिद्ध है जो पूरी घाटी को बेडशीट की तरह कवर करती है। भारत में यह विश्व धरोहर स्थल फ्लोरा की 600 से अधिक प्रजातियों का घर है।
पश्चिमी घाट / Western Ghats (2012)

पश्चिमी घाट या सह्याद्री पर्वत श्रृंखला (Sahyadri Mountain Ranges) भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह रेंज दक्कन के पठार के पश्चिमी किनारे के साथ उत्तर से दक्षिण की ओर चलती है। यह केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यानों, संरक्षित वनों और वन्यजीव सैंक्चुअरी का गठन करता है। पश्चिमी घाट के किनारे, जंगल वनस्पति और जीवों की लगभग 325 प्रजातियों का घर हैं, जिनमें पौधों और जानवरों की लुप्तप्राय, दुर्लभ और गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियाँ शामिल हैं।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, हिमाचल प्रदेश / Great Himalayan National Park, Himachal Pradesh (2014)
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, 754.4 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भारत के राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है जो उत्तरी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू क्षेत्र में स्थित है। यह लगभग 375 पशु प्रजातियों और कई फूलों की प्रजातियों का घर है, जिनमें पौधों और जानवरों की कुछ दुर्लभ प्रजातियां शामिल हैं, जैसे नीली भेड़, हिम तेंदुआ, हिमालयन ब्राउन भालू, हिमालयन ताहर, कस्तूरी मृग और विशाल अल्पाइन घास के मैदान। यह 2014 मे भारत में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल हुआ है। यह एक वन्यजीव संरक्षण स्थल है। इसलिए इनमें से किसी भी जानवर का शिकार पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
कंचनजंगा नेशनल पार्क, सिक्किम / Kanchenjunga National Park, Sikkim (2016)

भारत के खूबसूरत राज्य सिक्किम के, उत्तर और पश्चिम जिलों के हिमालयन रेंज में स्थित, कंचनजंगा नेशनल पार्क को 2016 में भारत में विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है। कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान (कंचनजंगा बायोस्फीयर रिजर्व) के रूप में भी जाना जाता है, जो 850 वर्ग किलोमीटर से अधिक का विशाल क्षेत्र है। कंचनजंगा नेशनल पार्क में कंचनजंगा चोटी शामिल है, जो दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची चोटी है। राष्ट्रीय उद्यान अपने जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के लिए प्रसिद्ध है, जहां हिम तेंदुए कभी-कभार देखे जाते हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान में ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए कुछ ट्रैकिंग मार्ग हैं।