साल 2020 मे हुई 8 (आठ) अच्छी बातें (Good Things)

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हम 2020 के अंत तक पहुंच गए है और यह वर्ष बहुत ही अशुभ रहा है – सम्पूर्ण दुनिया एक व्यापक महामारी के चपेट में हैं, विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है, प्रिय हस्तियों की मृत्यु हो गई है, अनेक परिवार उजड़ गए है। बच्चों के सिर से माँ बाप का साया हट गया और कई घरो के चिराग बुझ गए। लोग दुखी, डरे हुए, निराश और टूटे हुए महसूस कर रहे हैं और इस समय ऐसा महसूस करना ठीक भी है। सम्पूर्ण विश्व संघर्ष कर रहा हैं।

इस अविश्वसनीय रूप से कठिन वर्ष की कठोर वास्तविकता को हम कम नहीं कर सकते। पर इस अभूतपूर्व समय मे हमसे जो सबसे अच्छा हो सके वह हमें करना है। यह साल चाहे जितना भी मुश्किल हो पर उम्मीद की एक किरण जरूर है, कुछ अच्छा हम जरूर देख सकते है। कोरोना वायरस के काल लोगो मे रचनात्मकता निखर आई, क्वारंटाइन से परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिला, वो कहते है न हमेशा अच्छा सोचो तो इस समय हमें भी अच्छा सोचना चाहिए।

वास्तव मे यह सही समय तो नहीं है की हम देखे की गिलास आधा खली नहीं बल्कि आधा भरा हुआ है, लेकिन फिर भी चलिए हम आज कोशिश करते है।

इसी सोच के साथ हम आपको 2020 की कुछ अच्छी बातें बता रहे है। जिसे इन परिस्थियों मे हम सब मे एक सकारात्मक सोच आएगी। 

साल 2020 मे हुई 8 अच्छी बातें :-

1 हमारे ग्रह को सांस लेने का एक मौका मिला।

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पूरी दुनिया क्वारंटाइन (Quarantine)हो गई, तो हमारे ग्रह यानि पृथ्वी को ताजी हवा मे सांस लेने का एक बेहतरीन मौका मिला। COVID-19 ने लाखों लोगों को उनके ऑफिस से निकाल कर घर से काम करने के लिए मजबूर कर दिया, ट्रांसपोर्ट और कारोबार बंद हो गए। हलाकि यह खुशी मनाने वाली बात नहीं है पर इसे दुनिया भर में प्रदूषण का स्तर काफी कम हो गया। सड़कों पर कम कारों का मतलब, वातावरण में कम कार्बन और नाइट्रोजन, कम से कम कुछ समय के लिए ही।

साल 2019 में ही, हवा की गुणवत्ता का स्तर इतना खराब हो गया था कि इसे स्वास्थ्य आपातकाल (Health Emergency) घोषित कर दिया गया था। हम सब थोड़े समय के लिए घर पर बैठे थे और वातावरण मे इतना परिवर्तन आ गया। अब कल्पना करें कि अगर हम जानबूझकर इस दिशा की ओर चले तो हम अपनी प्रकृति को कितने बड़े नुकसान से बचा सकते हैं। नासा (NASA) दुवारा, इस लॉकडाउन मे भारत के पिछले 20 साल मे सबसे कम पॉल्यूशन लेवल (Pollution Level) रिकॉर्ड किया गया हैं।

2 परम्परिक व्यंजनों का फिर से स्वाद आया।

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ये क्वारंटाइ (Quarantine)का समय खाने के शौकीन लोगो के लिए एक उत्तम अवसर बन कर आया। लोगो ने अपने खाना पकाने के कौशल का प्रयोग करके पर्यावरण के अनुकूल भोजन बनाया और जिन्हें बनाना नहीं आता उन्होंने इस अवसर का उपयोग करके एक नया हुनर सीखा भी। भूमंडलीकरण के कारण पिछले 50 वर्षों में, डाइनिंग आउट और टेकआवे का चलन अधिक सामान्य हो गया है क्योंकि समाज अधिक शहरीकृत हो गए है।

शहरीकरण के कारण सबका जीवन भी कठिन हो गया है सब अपने कामों मे व्यस्त हो गए और इस व्यस्तता की वजह से परिवार के साथ बैठ कर खाना क्या परिवार के साथ समय बिताना ही भूल गए है। इस लॉक डाउन ने भागती हुईं ज़िंदगी को ब्रेक लगा दिया और सबको एक साथ कर दिया। सबने एक साथ मिल कर बेहतरीन पकवान बनाए और साथ ही दादी नानी के पुराने और पराम्परिक व्यंजनों को फिर से जीवित किया।

3 जानवरों की रक्षा।

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कुछ समय पहले तक दुनियाभर में मांसाहार जमकर खाया जाता था. इसके लिए दुनियाभर के तमाम देशों में हर तरह के जानवरों को खाते थे। चीन (China) में शायद ही कोई ऐसा जानवर या समुद्री जीव हो जो खाया नहीं जाता, लेकिन अब इस पर रोक लगी है। वुहान में तो जंगली जानवरों की खरीद और बिक्री पर पूरणता रोक लगा दी गई है। हांलाकि चीन ने वर्ष 2003 में फैली सार्स बीमारी के बाद इसे रोकने के लिए जंगली जानवरों, चमगादड़ और सांपों को खाने पर रोक लगा दी थी लेकिन उसके बाद उनकी बिक्री फिर शुरू हो गई।परन्तु  इस बार उन्होंने ये प्रतिबंध स्थायी तौर पर लगाया है।

वैसे दुनियाभर में अब मांसाहार से पैदा होने वाली बीमारियों पर लोगों का ध्यान जाने लगा है। साल 2020 कि इस बीमारी ने लोगो को अपने स्वस्थ को लेकर और अधिक सतर्क कर दिया है। लोग शाकाहार के महत्व को समझ रहे हैं। इस लॉक डाउन मे लोगों ने मांसाहार को छोड़ कर शाकाहार को अपनाया और अपने साथ साथ जानवरो की भी रक्षा करी। 

4 घर से काम (Work from Home) करने की नई कार्य पद्धति।

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साल 2020  मे काम करने का तरीका भी बदला, दफ्तरों मे काम करने के बजाए अब घर से काम (Work from Home) करने का चलन प्रचलित हो गया है। पहले घर से काम करने की बात नहीं होती थी क्योंकि प्रबंधकों को कर्मचारियों पर भरोसा ही नहीं होता था, उनको लगता है सब काम चोरी करेंगे। लेकिन COVID-19 के आने से कर्मचारियों की सर्व-सुरक्षा की आवश्यकता के कारण, घर से काम करने की कार्य पद्धति को जोर मिला और इसे भी काम करे का विश्वसनीय तरीका माना जाने लगा। इससे लोगो की कार्य क्षमता बहुत बड़ी है। ऑफिस न जा कर और ट्रैफिक मे न फसने से, बचने वाले समय के उपयोग से उतने ही समय मे अधिक काम हो रहा है।

5 प्रकृति के साथ मनुष्यों के संबंध मे सुधार।

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साल 2020 मे ऐसा भी होगा हमने सोचा नहीं था। इस साल मे हमे प्रकृति का नया ही रूप देखने को मिला। लॉकडाउन ने मनुष्यों को घरो मे बंद कर दिया और प्रकृति को आजाद कर दिया। पिछले कुछ महीनों मे दुनिया मे अलग अलग स्थानों पर उन जानवरो के देखा गया जो कभी वहां रहा करते थे। हमारे देश की प्रमुख नदी, गंगा नदी मे डॉल्फिनों को देखा गया, लाखो ऑलिव रिडले कछुए (Olive Ridley Turtles) ओडिशा (Odisha) के केंद्रपाड़ा जिले (Kendrapara District) मे गहिरमाथा समुद्री सैंक्चुअरी (Gahirmatha Marine Sanctuary) मे अपने घोंसले के लिए लोटे और सांभर हिरण और नीलगाय जैसे जानवर चंडीगढ़ और नोएडा की खाली सड़कों पर घूमते देखे गए। इस लॉकडाउन मे वन्यजीवों को वाहनों से घुटी हुई सड़कों का पता लगाने का मौका मिला। कम से कम कुछ समय के लिए, जानवरों ने अपने कुछ खोए हुए स्थान को पुनः प्राप्त किया और हम इंसानों ने पर्यावरण को सभी प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग से मुक्ति दिलाई।

वैश्विक उत्सर्जन (Global Emissions) में 17 फीसदी की कमी आयी है और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने 2020 को प्रकृति और जैव विविधता के लिए एक सुपर वर्ष होने का दावा किया है। है न अब यह एक अच्छी बात।

6 किताबों से फिर दोस्ती हुई।

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कोरोना वायरस के कारण हमे व्यापक पैमाने पर लॉकडाउन (Lockdown)का सामना करना पड़ा, लेकिन इसकी वजह से 2020 में, पुस्तक पढ़ने की पुरानी आदत को एक नया रूप मिला। 1,000 ब्रिट्स के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि किताबे पढ़ने मे अब लोग दोगुना समय लगाने लगे है। औसतन, उनका साप्ताहिक पढ़ने का समय, 3 घंटे से बढ़कर लगभग छह हो गया। इस सर्वेक्षण मे आधे से ज्यादा लोगो ने ज्यादा पढ़ने की वजह, खली समय बताया और कुछ ने इस संकट से अपना ध्यान हटाना।

यह भी स्पष्ट हुआ की किताबों के क्षेत्र मे भी अच्छी वृद्धि हुई। लॉकडाउन में भी पुस्तकों की बिक्री बढ़ रही है। साहित्यिक क्लासिक्स से लेकर आउटडोर सर्वाइवल स्किल्स की किताबे, बच्चों  की अकादमिक पुस्तकों से लेकर घर में शिक्षण की सहायक सामग्री में अपेक्षित वृद्धि हुई है। लोग अब कंप्यूटर की दुनिया से निकलकर किताबों की और वापस आ रहे है।

7 सवस्थ के लिए सतर्कता।

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हमने सोचा ही नहीं था, हम कभी ऐसा दिन भी देखेग की जब सम्पूर्ण विश्व एक भयंकर महामारी की चपेट मे आ जायेगा। Covid-19 ने ऐसी जानलेवा बीमारी है जिसने अनेको की जान ले ली, दुनिया की आधी जनसंख्या को यह बीमारी हो चुकी है। जिन लोगो को लगता था की उन्हें कुछ नहीं हो सकता वे स्वस्थ तथा ताकतवर है वह भी इस बीमारी से डर रहे है। इसलिए आज हर कोई अपने स्वस्थ को लेकर सतर्क हो रहा है। सभी कोशिश कर रहे है की वह शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रहे ताकि यह बीमारी उनको न पकड़ पाए। अब लोग उत्तम और शाकाहार आहार लेने लगे है, समय पर खाना खाते है, व्यायाम करते है जिसे अपने स्वस्थ का ध्यान रखते है। कोरोना वायरस के काल मे लोगो को अपने स्वस्थ के लिए सोचने का भी समय मिला यह भी एक अच्छी बात है।

8 चिकित्सा विज्ञान पर गर्व का क्षण।

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आज तक किसी एक घातक बीमारी के लिए सबसे तेज़ वैक्सीन चार साल मे विकसित की गई है, इतने समय मे उस बीमारी के खिलाफ टीका सबको उपलब्ध हो जाता है। हालांकि 2020 मे ऐसा हो रहा है, जैसे कभी नहीं हुआ। आज दुनिया चिकित्सा इतिहास में होने वाले सबसे बड़े कारनामे का गवाह बने वाली है। इस विश्वस्तरीय घातक तथा व्यापक बीमारी का टिका ”वैक्सीन” (vaccine) आधे से भी कम समय मे बनाई जा रही है। 

निश्चित रूप से, ये टीका हफ्तों मे तो नहीं आ जायेगा। यह एक लम्बी प्रक्रिया है जिसमे महामारी का अध्ययन, इलाज का विकास, टिके का निर्माण, टिका देने के बाद के प्रभाव, प्रभावों का पुनःअध्ययन कर फिर तेज़ी से निर्माण और सरकारी विभागों से इसके वितरण की अनुमति। यह प्रक्रिया इतनी लम्बी और कठिन है इसलिए इसमें इतना ज्यादा समय लगता है।

यह सब जानने के बाद भी, यह अविश्वसनीय ही लगता है की हम इसके कितने करीब हैं। कई फार्मास्युटिकल कंपनियां वैक्सीन बनाने के तीसरे और अंतिम चरण में हैं – अंतिम चरण की सफलता के बाद बड़े पैमाने पर इन् वैक्सीन का निर्माण होगा। इसी बीच प्रमुख सरकारी स्वास्थ्य संगठनों से मंजूरी लेना का कार्य चला रह है। विभिन्न फार्मा कंपनियों ने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी है अपनी सम्पूर्ण ताकत इस वैक्सीन के उत्पादन मे लगा दी है सबकी यही कोशिश है की जल्दी से जल्दी दुनिया भर के लोगो तक यह दवाई पहुंच जाए।

हम आशा करते है आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी।
घर रहिए,स्वस्थ रहिए।

 


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