कहते है मानव शरीर नश्वर हैं,एक दिन सबको जाना है। लेकिन कुछ महान आत्माएँ पीछे ऐसी विरासत छोड़ जाती हैं कि उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) भी ऐसी ही एक शख्सियत हैं। 07 मई 1861 को कोलकाता (Kolkata) में जन्मे, रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) विश्व के सबसे महान कवियों में से एक हैं। रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) का साहित्य अमर है। हर कोई इस महान नोबेल पुरस्कार विजेता (Nobel Prize Winner) के कार्यों के बारे में जानता है, लेकिन कुछ बातें ऐसी भी है जो ‘गुरुदेव’ (Gurudev) के बारे में सब नहीं जानते।
आइए रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) के बारे में 10 रोचक तथ्यों पर एक नजर डालें।
रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore), नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize Winner) जीतने वाले पहले एशियाई ही नहीं, बल्कि साहित्य में अपनी प्रमुखता को चिह्नित करने वाले पहले गैर-यूरोपीय भी थे। उनकी विश्व विख्यात संरचना गीतांजलि (Geetanjali) के प्रकाशन के बाद उन्हें पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1915 में, रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) को ब्रिटिश सरकार ने नाइटहुड (Knighthood) की उपाधि दी थी। यह उपाधि इतनी आसानी से नहीं दी जाती है। जब कोई वयक्ति किसी विशेष क्षेत्र में लंबे समय तक कार्य करता है तब रानी द्वारा आपको यह उपाधि दी जाती है। परन्तु 1919 में जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) हत्याकांड हुआ, ब्रिटिशों के द्वारा भारतीयों के साथ इतना क्रूर व्यवहार किया देख कर रबीन्द्रनाथ को बहुत आघात पंहुचा। रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने इसका विरोध किया और अपनी उपाधि को वापस कर दिया।
1921 में, टैगोर ने अपने नोबेल पुरस्कार के पैसो का उपयोग किया और शांतिनिकेतन (Shanti Niketan) में विश्व भारती विश्वविद्यालय (Vishwa harti Vishwavidyalya) की स्थापना की। इस विश्वविद्यालय की स्थापना क्लास रूम टीचिंग के पारंपरिक तरीकों को चुनौती देने के लिए की गयी थी।अपने इस महान निर्माण के पीछे की महत्वकांशा को बताते हुए, टैगोर ने कहा था “मानवता को राष्ट्र और भूगोल की सीमाओं से परे कहीं अध्ययन किया जाना चाहिए।”
दो महान राष्ट्रों ने रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की कविताओं को राष्ट्रीय गान बनाकर उनकी कविताओं को सम्मानित किया है। विश्व में भारत का राष्ट्रगान “जन गण मन | Jana Gana Mana” के नाम से प्रसिद्ध है। इसके अलावा, बांग्लादेश (Bangladesh) के राष्ट्रीय गान को “ अमर सोनार बांग्ला | Amar Sonar Bangla“ के रूप में जाना जाता है। किंतु बहुत से लोग यह नहीं जानते की श्रीलंका का राष्ट्रगान “श्रीलंका मठ | Sri Lanka Matha“ भी पूरी तरह से टैगोर द्वारा बंगाली में रचित एक गीत पर आधारित है। जिसका सिंहली में अनुवाद किया गया था और 1951 में राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था।
टैगोर को मिले नोबल पुरस्कार (Nobel Prize) को शांति निकेतन (Shani Niketan) में रख गया था। 2004 में यह नोबेल पुरस्कार पदक चोरी हो गया था। फिर स्वीडिश अकादमी ने पुरस्कार की दो प्रतिकृतियां फिर से प्रदान की, एक स्वर्ण और एक रजत के रूप में।
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Image via Royroydeb, Jawaharlal Nehru and Rabindranath Tagore, marked as public domain, more details on Wikimedia Commons राष्ट्रपिता – महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के साथ उनकी बहुत अच्छी मित्रता थी और साथ ही उनके विचारों ने कई क्रांतिकारियों को प्रभावित किया। टैगोर और गांधी में एक दूसरे के लिए बहुत प्यार और श्रद्धा थी की, वह रबीन्द्रनाथ ही थे, जिन्होंने 1915 में गांधीजी को “महात्मा” की उपाधि से सम्मानित किया था।
Image via Unknown author, Tagore Gandhi, marked as public domain, more details on Wikimedia Commons महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के जीवन से जुड़े 21 रोचक तथ्य।
टैगोर और आइंस्टीन (Einstein) का कई बार मिलना हुआ। उनेक और आइंस्टीन के विचारो में कई समानताएं थी। दोनों ही मानवता के प्रबल समर्थक थे। एक बार टैगोर ने अल्बर्ट आइंस्टीन को अपने घर पर आमंत्रित किया था। वहाँ दोनों ने धर्म और विज्ञान के साथ मानवता के विकास के बारे में बातें करी थी।
Image via UNESCO, Rabindranath with Einstein, marked as public domain, more details on Wikimedia Commons जोरासांखो ठाकुरबारी (Jorasanko Thakur Bari) के नाम से जाना जाने वाला टैगोर का पैतृक घर अब रबीन्द्र भारती संग्रहालय (Rabindra Bharti Museum) है। घर को इस तरह से संरक्षित किया गया है की वह उस समय का एक प्रतिरूप लगता है जिस समय टैगोर का परिवार यहाँ रहता था। यह संग्रहालय टैगोर परिवार के इतिहास के बारे में पूर्ण जानकारी प्रदान करता है। घर में कई आर्ट गैलरी भी हैं। यह कला और इतिहास प्रेमियों के लिए एक खजाना है।
Image via Mark Kobayashi-Hillary, Jorasanko Mansion – Kolkata, CC BY 2.0 जैसा पिता वैसा बेटा, रबीन्द्रनाथ टैगोर, देवेन्द्रनाथ टैगोर के पुत्र थे। देवेन्द्रनाथ टैगोर ने बंगाली पुनरुत्थान में एक महान भूमिका निभाई थी। इसी तरह, रबीन्द्रनाथ टैगोर ने बंगाली कला, साहित्य, संगीत और रंगमंच की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रबींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) का अंतिम नाम हमेशा से ठाकुर था, कभी टैगोर नहीं था। ऐसा कहा जाता है की ब्रिटिश ठाकुर का उच्चारण ठीक से नहीं कर पाते थे। वह इस उच्चारण ताकौर की तरह करते थे। जो अंततः टैगोर मैं बदल गया।
टैगोर ने सभी शैलियों पर काम किया है। टैगोर ने उपन्यास, लघु कथाएँ, कविताएँ, निबंध, छंद, नाटक, गीत और बहुत सी अन्य चीजें लिखीं।
उनका मस्तिष्क ज्ञान का सागर था। एक तथ्य के अनुसार, कहा जाता है जब वह किडनी इन्फेक्शन से जूझ रहे थे और उनका अंतिम समय निकट था और तब उनके एक मित्र उनसे मिलने आए।
दोस्त ने कहा,“देखो, तुमने क्या उल्लेखनीय जीवन जिया है। तुम अपने पीछे हजारों उत्कृष्ट कविताएँ छोड़े जा रह हो लोग उन्हें सदियों तक पढ़ते रहेंगे और आपको याद रखेंगे।”
अचानक, टैगोर रोए ।
मित्र ने पूछा “क्या हुआ?
” टैगोर ने जवाब दिया, “तुम नहीं जानते कि मेरे दिमाग में अभी कौन सी बेहतरीन कविताएँ आ रही हैं। लेकिन मैं अब बहुत कमजोर हूं और मैं अब और नहीं लिख सकता। यह बहुत दर्दनाक है कि मेरी सबसे बड़ी कविता अलिखित रहेगी ”।

हो सकता है इस कहानी का रबीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) की मृत्यु से कोई संबंध न हो। लेकिन हमें लगता है कि यह उनकी रचनाओं को श्रद्धांजलि देता है। वह वास्तव में एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे और हमारा मानना है कि वह अपने अंतिम दिन तक ऐसा ही रहे होंगे।
गीतांजलि (Geetanjali), गोरा (Gora), मुन्ने की वापसी (Munne ki wapasi), तोता (Tota), अनाथ (Anaath), पिंजर (Pinjar), भिखारिन (Bhikarin), अतिथि (Atithi) आदि रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की कुछ अदभुत रचनाएँ है