मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का महत्व – कब कैसे और क्यों मनाई जाती है।

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भारत देश में हर साल हजारों त्यौहार मनाये जाते है। इन सभी त्योहारों के पीछे महज सिर्फ परंपरा या रूढ़िवादी बातें नहीं होती है, हर एक त्यौहार से जुड़ा होता है ज्ञान, विज्ञान और विश्वास। हर साल 14 या 15 जनवरी को हिन्दूओं द्वारा मनाये जाने वाला त्यौहार मकर संक्रांति को ही लें, तो यह पौष मास में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है अतः यह न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि एक मौसमी परिवर्तन भी है। भारत मे बड़े पैमाने पर मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों में से एक मकर संक्रांति, विभिन्न संस्कृतियों में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। तो चलिए देखते है।

मकर संक्रांति कब कैसे और क्यों मनाई जाती है साथ ही इसका महत्व क्या है।

मकर संक्रांति कब होती है? / Makar Sankranti Kab Manai Jati hai?

हर साल मकर संक्रांति एक निश्चित तिथि पर मनाई जाती है जो हर साल 14 जनवरी को होती है। मकर संक्रांति जनवरी के महीने में शीतकालीन संक्रांति के रूप में मनाई जाती है। यह वह दिन है जब सूर्य कर्क राशि से मकर नक्षत्र या राशि में प्रवेश करता है। यह सर्दियों के मौसम की समाप्ति और नई फसल के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है।

मकर संक्रांति का महत्व / Makar Sankranti ka mehtav

एक साल मे 12 बार संक्रांति आती है, हर महीने मे एक संक्रांति। यह वर्ष के वो बारह दिन होते हैं जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि मे प्रवेश करता है। लेकिन मकर राशि में इसके प्रवेश का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति से सूर्य अपनी उत्तरवर्ती यात्रा शुरू करता है, अर्थात उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है, जिसे उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। जो सर्दियों के महीने के अंत और लंबे दिनों की शुरुआत का प्रतीक है। यह माघ महीने की शुरुआत भी होती है।

मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं?  / Makar Sankranti Kyu Manai Jati Hai ?

यह त्योहार मुख्य रूप से कृषि समुदाय द्वारा मनाया जाता है। मकर संक्रांति किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस दिन वे अपनी फसल का जश्न मनाते हैं। किसान अपने खेतों में कड़ी मेहनत करते है – बीज बोते है, खेतों की जुताई करते है और अंत मे लाभ प्राप्त करते हैं। यह दिन किसानों के लाभ का समय होता है, इसी दिन सभी किसान अपनी फसल काटते है। फिर सीजन की पहली फसल की पूजा की जाती है और नाचते गाते संक्रांति मनाई जाती है।

यह भारत के उन कुछ त्योहारों में से एक है जो चंद्र चक्र के बजाय सौर चक्र के अनुसार मनाया जाता है। सूर्य देवता का मकर राशि मे प्रवेश करने की परिक्रिया मकर संक्रांति कहलाती है। यह त्यौहार सूर्य देवता के सम्मान में मनाया जाता है जिनकी ऊर्जा से पृथ्वी पर जीवन संभव है। इसलिए इस दिन सूर्य देवता की कृपा के लिए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर उनका धन्यवाद करते है। भगवान् सूर्य रोशनी, ताकत और ज्ञान का प्रतीक है, मकर संक्रांति का त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह दिन एक नए काम शुरू करने का भी प्रतीक है।

मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है? / Makar Sankranti Kaise Manai Jati Hai ?

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इस दिन सूर्य देवता या सूर्यदेव की पूजा करते हैं, इसलिए मकर संक्रांति भगवान सूर्य की पूजा के लिए एक शुभ दिन है। मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान, व पूजन का विशेष महत्व होता है।

इस दिन भक्त पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी आदि के जल में धार्मिक स्नान करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन पवित्र जल मे स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं,और जीवन मे सुख शांति और समृद्धि आती है। इसलिए स्नान के बाद भगवान् सूर्य को जल अर्पित करके उनकी पूजा की जाती हैं और उनसे अपने अच्छे भविष्य के लिए प्रार्थना की जाती है। सूर्य देव की पूजा के अलावा, लोग पशुओं और मवेशियों को भी खाना खिलते हैं और इसके साथ ही गुड़, तिल, कम्बल, फल आदि का दान किया जाता है।

एक लोकप्रिय हिंदू मान्यता है, अगर कोई संक्रांति पर मर जाता है, तो वो पुनर्जन्म के जाल मे नहीं फसते, इसके बजाय, वे सीधा स्वर्ग जाते हैं।

प्रत्येक 12 वर्षों के बाद मकर संक्रांति के साथ, कुंभ मेला भी लगता है,(यह दुनिया के सबसे बड़े सामूहिक तीर्थों में से एक है) इस कुंभ मेले के लिए विश्वभर से लोग इकट्ठा होते हैं। यह दुनिया का सबसे अधिक प्रसिद्ध सांस्कृतिक उत्सव है। अगला कुंभ मेला इस वर्ष जनवरी 2021 में आयोजित किया जाएगा।

इस दिन भारत के कई राज्यों मे पतंग भी उड़ाई जाती है।

मकर संक्रांति पर भोजन का रिवाज / Makar Sankranti Food !

भारत का कोई भी त्योहार बिना मिठाई के पूरा नहीं होता। मिठाई उत्सव का प्रमुख हिस्सा होती है ऐसे ही मकर संक्रांति बहुत ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है, और इस उत्साह को और बढ़ाने मे भोजन भी महत्वपुर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए संक्रांति पर कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते है, विशेष रूप से तिल और गुड़ से बने लड्डू। ये लड्डू तो मकर संक्रांति की पहचान है और बहुत लोकप्रिय हैं। ये लड्डू और चिक्की लोगों के बीच वितरित किए जाते हैं।

उत्तरी भारत में, विशेष रूप से दिल्ली और हरियाणा में, रेवाड़ी, गज़क, मक्का (Popcorns) और मूंगफली (Peanuts) खाए जाते हैं। बिहार में लोग इस फसलों के त्योहार को मनाने के लिए खिचड़ी बनाते हैं और खिचड़ी बनाकर भगवान सूर्यदेव को भोग लगाते हैं फिर सब मिलकर खाते है। साथ ही खिचड़ी का दान तो विशेष रूप से किया जाता है।

अलग अलग राज्यों में मकर संक्रांति / Makar Sankranti in Different States !

मकर संक्रांति देश के विभिन्न राज्यों में बहुत हर्षौल्लास से मनाई जाती है, इसलिए प्रत्येक राज्य में इसकी अलग-अलग परंपराएं तथा नाम हैं। आइए भारत के विभिन्न राज्यों की परम्पराएँ आपको बताते है।

1 उत्तर प्रदेश -खिचड़ी या दान का त्योहार

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उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रांति पर्व को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है परन्तु यह मुख्य रूप से ‘दान’ का त्योहार है। खिचड़ी चावल और दाल से बने पकवान का नाम है, और उत्तर प्रदेश मे मकर संक्रांति के दौरान खिचड़ी को दान के रूप में दिया जाता है। इसलिए इन स्थानों पर त्योहार का नाम खिचड़ी हो जाता है। उड़द दाल, चावल, कपड़े, कंबल और यहां तक ​​कि सोने की वस्तुओँ को भी दान में दिया जाता है। दान करने के अलावा, इस दिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाना बहुत शुभ माना जाता है साथ ही कुछ लोग इस शुभ दिन पर उपवास करते हैं और खिचड़ी खाते हैं।

2 तमिलनाडु – थाई पोंगल (Thai Pongal)

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मकर संक्रांति को दक्षिणी भारत के तमिलनाडु में थाई पोंगल (Thai Pongal) के रूप में मनाया जाता है। पोंगल दूध और गुड़ में उबले हुए चावल की डाल कर बनाई गई एक मिठाई का नाम है जिसे तमिलनाडु में लोग मकर संक्रांति के दौरान पूजा अर्चना के बाद खाते हैं और इसलिए राज्य में इस त्योहार का नाम पोंगल पड़ा। यह फसल उत्सव, भगवान् को फसलों के लिए धन्यवाद देने के रूप मे मनाया जाता है, इसलिए इसे धनयवाद उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। तमिल कैलेंडर के अनुसार यह चार दिनों (14-17 जनवरी) तक मनाया जाता है। हर दिन की अलग पूजा विधि होती है, इन चार दिनों के अलग अलग नाम है भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और कानम पोंगल। मकर संक्रांति पर कोलम (Kolam) या रंगोली भी विशेष बनाई जाती है।

3 गुजरात – उत्तरायण

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मकर संक्रांति राजस्थान में बहुत धूम-धाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे उत्तरायण नाम से मनाया जाता है। कई महीनों की कड़ाके की ठंड के बाद, सूर्य उतर दिशा की और बढ़ता है, तो यही वह समय होता है जब सूर्ये देवता को उनकी कृपा के लिए, ध्यानवाद करने के लिए पूजा अर्चना अर्पित की जाती है। गुजरात में, मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव मे वहां के सभी लोग बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है और इटली, मलेशिया, जापान, अमेरिका आदि जैसे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय स्थलों से लोग इसमें भाग लेने आते है। इस महोत्सव की तैयारियां कई महीनो पहले आरंभ हो जाती है। इस दिन अलग-अलग आकृतियों, आकारों और रंगों की कई रंगीन पतंगों से आसमान भर जाता है। ऐसे लगता है मानो नीले आसमान मे किसी ने इन्द्रधनुषी रंग भर दिए हो।

4 पंजाब – लोहड़ी / माघी

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मकर संक्रांति से एक दिन पहले, 13 जनवरी को हरियाणा और पंजाब में सिख समुदाय द्वारा लोहड़ी मनाई जाती है। पंजाब में इसे माघी के रूप में भी जाना जाता है। सूर्य भगवान को धनयवाद करने और सर्दियों की फसल के मौसम का जश्न मनाने के अलावा, लोहड़ी पर अग्नि देव की पूजा भी की जाती है। रात के समय सब लोग अलाव जलाते है और अलाव के चारों ओर इकट्ठा होकर पूजा करते है, और सुख समृद्धि के लिए प्राथना करते है। अँधेरी रात मे अलाव से होने वाली रौशनी सबके जीवन मे आने वाली नई रौशनी नयी उमग का प्रतिक होती है। गुड़, चावल, मूंगफली और मक्का अलाव मे डालते है और अलाव के चारों परिक्रम करते है। इसके बाद सब नाचते गाते है भांगड़ा और गिद्दा किया जाता है। 

5 महाराष्ट्र 

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महाराष्ट्र में मकर संक्रांति तीन दिनों तक मनाई जाती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करते है और उनसे अच्छे खुशहाल जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं। लोग घर की साफ़ सफाई करते है और घर को सजाते है, नए कपडे पहनते है तथा परिवार और दोस्तों को मिलने जाते है। यह महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए विशेष दिन होता है खासकर विवाहित महिलाएँ के लिए, जब विवाहित महिलाएं “हल्दी-कुमकुम” का आदान प्रदान करती है इसे एक-दूसरे के माथे पर लगाती हैं और उपहार भी देती है।

संक्रांति के दिनों में महाराष्ट्र में टिल और गुड़ के लड्डू विशेष बनाए जाते। अपने महाराष्ट्रीयनों को वह मराठी कहावत बोलते तो सुना ही होगा।

“तिल गुड़ घ्या आणि गोड़ गोड़ बोला”

जिसका हिन्दी में अर्थ है तिल गुड़ लो और मीठा मीठा बोलो।

इस दिन सभी एक दूसरे को तिल गुड़ के लड्डू खिलते है और एक दूसरे को “तिल गुड़ घ्या आणि गोड़ गोड़ बोला” बोलते है।

6 असम – माघ बिहू
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image via Jyotiraditya Deka, A meji to be burned during the festival of magh bihu in radha kuchi, 12th january, 2017, CC BY-SA 4.0

संक्रांति को असम में माघ बिहू के नाम से मनाया जाता है। बिहू लकड़ियों को इकठा करके उन्हें अस्थायी झोपड़ियों की तरह खड़ा किया जाता है इन्हे भेलघर या मेझी कहा जाता है। फिर इन्हे जला कर इसकी पूजा की जाती है और दोस्तों और परिवार वालो के साथ मिलकर अलाव के आसपास दावत की जाती है। असम का प्रसिद्ध जोन्हेल मेला भी माघ बिहू के दौरान आयोजित किया जाता है।

7 केरल – मकरविलक्कू
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image via HARIPRASAD9757, Ayyappan vilakku, CC BY-SA 4.0

केरल के भगवान अय्यप्पन के पवित्र मंदिर सबरीमाला में, मकर संक्रांति को मकरविलक्कू के रूप में मनाया जाता है और इसे तिरुवभरणम जुलूस और सम्मेलन किया जाता है। लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए संक्रांति पर सबरीमाला जाते हैं साथ ही मंदिर में आरती और दीपदान किया जाता है, समारोह के दौरान जलाए जाने वाले इन दीपक को मकर विलक्कू कहा जाता है। इन दीपों का प्रकाश इतना अधिक होता है की इसे कई स्थानों से देखा जा सकता है। इस एक अवसर का भक्त साल भर इंतजार करते हैं।

प्रत्येक राज्य में मकर संक्रांति के दौरान अनोखी परंपराएं होती हैं, पर जिस भावना के साथ त्योहार मनाया जाता है वह एक ही है – उत्साह उमंग तथा खुशहाली। हम आशा करते है आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी। आपको हमारा यह आर्टिकल (Article) कैसा लगा कमेंट (Comment) करके जरूर बताए।

आपको तथा आपके परिवार को मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ। Happy Makar Sankranti

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