कैलाश मंदिर, एलोरा: Kailash Temple, Ellora Ka Itihaas

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भारत एक धर्म प्रधान देश है। हमारे यहाँ अनेक अद्भुत तथा चमत्कारी मंदिर है, जिनकी अलग अलग मान्यताएँ है। इन्ही मे से है औरंगाबाद में स्थित कैलाश मंदिर। यह एलोरा की गुफ़ाओं का भाग है इसलिए इसे एलोरा का कैलाश मंदिर (Kailash Temple in Ellora) या कैलाश मंदिर एलोरा कहते है। कैलाश मंदिर, कैलाश के स्‍वामी भगवान शिव को समर्पित है। कैलाश मंदिर भगवान शिव के निवास स्थान, हिमालय के कैलाश पर्वत का स्वरूप है। इसलिए इसे शिव मंदिर भी कहा जाता है।

आइये कैलाश मंदिर, एलोरा से जुड़ी कुछ और रोचक बातें आपको बताते है।

कैलाश मंदिर एक अजूबा

भारत में स्थित सबसे बड़े रॉक-कट प्राचीन हिंदू मंदिरों में से एक कैलाश मंदिर (Kailash Mandir), अधिकांश आर्किटेक्ट के लिए एक ड्रीम प्रोजेक्ट है। कैलाश मंदिर का विशाल आकर तथा मूर्तिकला बहुत लुभावनी है। यह संरचना एक ही विशाल चट्टान से निकाली गई है। 2,00,000 टन से अधिक भरी पहाड़ को काट कर इस मंदिर का निर्माण हुआ है। किसी मंदिर या भवन को बनाते समय हमेशा पत्थरों के टुकड़ों को एक के ऊपर एक जमाते हुए बनाया जाता है। लेकिन कैलाश मंदिर को बनाने में एकदम अनोखा ही तरीका अपनाया गया। कैलाश मंदिर (Kailash Mandir) दुनिया में एकमात्र ऐसी संरचना है जो ऊपर से नीचे की ओर तराशी गई है। जैसे एक मूर्तिकार एक पत्थर से मूर्ति तराशता है, वैसे ही एक पहाड़ को तराशते हुए यह मंदिर बनाया गया। यह इसकी खड़ी खुदाई के लिए प्रसिद्ध है – “खड़ी खुदाई का अर्थ है निर्माण करने वाले मूल चट्टान के शीर्ष पर से खुदाई शुरू करते है और नीचे की ओर खुदाई होती जाती है।“ इस सरंचना के निर्माण के समय, इसके मास्टर आर्किटेक्ट द्वारा पारंपरिक वास्तुकला के तरीकों का सख्ती से पालन किया गया था, जो इसकी बनावट में साफ़ दिखाई देता है। कैलाश मंदिर के विशाल आकार के साथ एक और कारण है जिसे यह मंदिर एक विश्व स्तरीय आश्चर्य का विषय बना गया है, की इतने भव्य मंदिर का निर्माण, 1200 साल से भी पहले केवल हथौड़े और छेनी के प्रयोग से कैसे हुआ था। आज विशाल मशीनो, उपकरणों तथा अपर सुविधाओं के होते हुए भी ऐसे मंदिर का निर्माण करना असंभव है।

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image via Geetika Kumar, Kailasa Temple, Ellora Caves, Cave 16, Maharashtra, India, CC BY-SA 4.0

कैलाश मंदिर कहाँ स्थित है /Kailash Mandir Kahan stith hai?

 एलोरा का कैलाश मंदिर, महाराष्ट्र (Maharashtra) के औरंगाबाद (Aurangabad) में स्थित है। कैलाश मंदिर प्रसिद्ध एलोरा की गुफ़ाओं का हिस्सा है, इसे कैलाश मंदिर एलोरा (Kailash Mandir in Ellora) भी कहते है। एक ही पहाड़ की खुदाई करके पत्थर से निर्मित, कैलाश मंदिर भारत में सबसे प्रभावशाली गुफा मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की विशाल संरचना, एलोरा के 34 गुफा मंदिरों और मठों में से एक है, जिन्हें सामूहिक रूप से एलोरा गुफाओं के रूप में जाना जाता है। महाराष्ट्र के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित, इन गुफ़ाओं को यूनेस्को द्वारा 1983 में  ‘विश्‍व विरासत स्‍थल’ घोषित किए गया है और इसमें कई 600 और 1000 CE के बीच के स्मारक शामिल हैं। हालांकि यहाँ गुफ़ाओं के मायाजाल में कई प्रभावशाली संरचनाएं हैं, पर यह विशाल चट्टान से निर्मित कैलाश मंदिर शायद सबसे प्रसिद्ध है।

कैलाश मंदिर किसने बनवाया था। /Kailash Mandir Kisne Banwaya Tha?

कैलाश मंदिर अपने भव्य आकार और प्रभावशाली संरचना के लिए प्रसिद्ध है, परन्तु जितना यह वर्त्तमान में प्रसिद्ध उतना ही इसका इतिहास अँधेरे में है। यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि एलोरा का कैलाश मंदिर किसने बनवाया था और कब बनवाया था। हालांकि कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं है, परन्तु कई इतिहासकार, आमतौर पर इसे राष्ट्रकूट वंश (Rashtrakuta dynasty) के राजा कृष्ण 1 (King Krishna 1) के समय से जोड़ते है, जिन्होंने लगभग 756 से 773 ईस्वी तक शासन किया। यह दावा कई पुराने पुरालेख पर आधारित है जो मंदिर को “कृष्णराज” से जोड़ता है।  हालांकि मंदिर से सम्बंधित कुछ भी ऐसे नहीं मिला है, जिसमे मंदिर से राजा कृष्ण का संबंध सपष्ट लिखा हो या जिसमे मंदिर के बारे में कुछ भी जानकारी हो।

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image via- Internet Archive Book Images, Kailasa Temple Ellora Caves 1913, Unknown

इतिहास / Itihaas

इतिहासकारो तथा विद्वानों दवारा, कैलाश मंदिर की वास्तविक उत्पत्ति का पता लगाना अभी बाकी है, परन्तु कैलाश मंदिर से जुडी अनेको कथाएँ है, जिनमें से एक मध्ययुगीन दंतकथा बहुत प्रसिद्ध है।

 इसमें इस विशाल मंदिर के निर्माण के पीछे एक रोमांटिक चित्र बनाया है। कृष्ण याज्ञवल्की द्वारा कथा-कल्पतरु (Katha Kalpa Taru) में लिखी एक कहानी के अनुसार, जब राजा गंभीर रूप से बीमार थे, तो उसकी रानी ने भगवान शिव से प्रार्थना की, कि उनके पति ठीक हो जाए। इसके लिए रानी ने संकल्प लिया की राजा के ठीक होने के बाद, वे भगवान शिव के नाम पर मंदिर बनवाएगी और तब तक उपवास करेगी जब तक मंदिर का शिखर न देख ले।

अब राजा तो जल्दी से बेहतर हो गए और संकल्प के अनुसार मंदिर पर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया। लेकिन फिर राजा और रानी को एक भय महसूस हुआ, कि मंदिर को शिखर तक उभरने में कई साल लगेंगे। तब तक रानी कैसे उपवास पर रहेगी। सौभाग्य से, एक चतुर इंजीनियर सामने आया और उसने आकर समझाया कि पहाड़ की चोटी से शुरू करके भी मंदिर का निर्माण हो सकता है। यह सुन के रानी को बहुत राहत मिली, और सोचा की अब वह जल्दी से उपवास खत्म कर सकती थी। अतः उस इंजीनियर को मंदिर निर्माण का कार्य दे दिया गया, और इस तरह एक सप्ताह के भीतर मंदिर का शिखर बन गया और रानी का उपवास खत्म हुआ। इस प्रकार मंदिर का निर्माण ऊपर से नीचे की तरफ किया गया था।

परन्तु यह बस एक दंतकथा है और इसमें कोई तथ्य नहीं, कोई सच्चाई नहीं है। बस सच्चाई यह है कि कैलाश मंदिर ऊपर से नीचे की ओर बनाया गया था।

कैलाश मंदिर एलोरा (Kailash Mandir Ellora) के निर्माण के पीछे की कहानी जो भी हो, पर इस मंदिर में कई अनुपम वास्तुकलाओं के दर्शन होते है।

भव्‍य नक़्क़ाशी

एलोरा की गुफ़ाओं में लगभग 100 गुफा मंदिर तथा मठ है। इनमें से केवल 34 ही जो जनता के लिए खुली है, इसमें 12  बुद्धिस्ट ,17 हिन्दू और 5 जैन गुफाएँ है। इसमें एलोरा की गुफ़ा-16 सबसे बड़ी गुफा है, इसी गुफा में कैलाश मंदिर है जिसमें सबसे ज़्यादा खुदाई कार्य किया गया है। यह दुनिया के सबसे बड़े गुफा मंदिरों में से एक है। कैलाश मंदिर को छोड़कर शेष मंदिर 600-750 ई. के आस-पास बने बताए जाते हैं।

एलोरा की मूर्तिकला अनुपम है। गुप्त काल के बाद इतना भव्य निर्माण और किसी काल में नहीं हुआ। यहाँ के कैलाश मंदिर में विशाल और भव्‍य नक़्क़ाशी है, जो कि कैलाश के स्‍वामी भगवान शिव को समर्पित है। कैलाश मंदिर ‘विरुपाक्ष मन्दिर’ से प्रेरित होकर राष्ट्रकूट वंश के शासन के दौरान बनाया गया था। अन्‍य गुफाओं की तरह इसमें भी प्रवेश द्धार, मंडप तथा मूर्तियाँ हैं।  इस अविश्वसनीय भव्य कृति के निर्माण में अलग अलग संस्कृतियों की छाप भी दिखती है, ऐसे लगता है इसके साथ तीन अलग कहानियों जुडी है। एक घोड़े की नाल के आकार वाले आंगन, जिसमे एक गोपुरम,और जिसके प्रवेश द्वार पर-टॉवर है। यह तीनो ही एक साथ होते हुए भी अलग है।

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image via- N M Kowlagi, DSC05774 Ellora Caves, Kailash Temple, Aurangabad, India, CC BY-SA 4.0

इस विशाल तथा अद्भुत मंदिर की उत्कृष्ट सजावट तथा नक्काशी को देखते हुए, यह माना जाता था कि राजा कृष्ण 1 के काल में कैलाश मंदिर का काम शुरू जरूर हुआ होगा, लेकिन यह कई सदियों तक चल होगा था, जिस कारण इसमें अलग-अलग शासक अपनी खुद की पसंद को जोड़ते गए। साथ ही एलोरा की गुफ़ाओं का सीधा संबंध बौद्ध, हिन्दू और जैन धर्म से भी है। उस काल में वयापार के कारण अनेको यात्री देश विदेशो से भारत आते थे और अपने साथ अपनी संस्कृति भी लाते थे। इसलिए इन गुफाओं मैं बौद्ध तथा जैन धर्मो के मठ भी है। इसलिए इन धर्मों के अनुयायियों की यहाँ भीड़ लगी रहती है। इन मठो की नक्काशी तथा वास्तुकला अद्भुत है।

अनुपम मूर्तिकला

कैलाश मंदिर (Kailash Mandir) को हिमालय के कैलाश का रूप देने में एलोरा के वास्तुकारों ने कोई कमी नहीं छोड़ी है। शिव का यह कैलाश मंदिर पर्वत की ठोस चट्टान को काटकर बनाया गया है और अनुमान है कि कम से कम 30 लाख पत्थर इसमें से काटकर निकले गए है। समीक्षकों का अनुमान है की कैलाश के इस आँगन में, पूरा ताजमहल (Tajmahal) रखा जा सकता है। एथेंस (Athens) का प्रसिद्ध मंदिर ‘पार्थेनन’ (Parthenon) इसके आयाम में पूरा समा सकता है, कैलाश मंदिर इतना बड़ा है की एक नहीं एथेंस (Athens) में पार्थेनन (Parthenon) मंदिर के क्षेत्र को दो बार कवर किया जा सकता है और इसकी ऊँचाई पार्थेनन (Parthenon) से कम से कम दोगुनी है। कैलाश मंदिर एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, जिसमे त्रुटि की कोई संभावना हो ही नहीं सकती।

कैलाश मंदिर ऐसा बनाया है जैसे एक एक मूर्ति जीवित हो। कैलाश के भैरव की मूर्ति जितनी भयानक है, पार्वती की उतनी ही स्नेहशील है और शिव तांडव का वेग तो ऐसा है, जैसा पत्थर में जान आ गई हो।

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image via- Arian Zwegers from Brussels, Belgium, Ellora, cave 29, Ravana shaking Mount Kailasa (9841650413), CC BY 2.0

यहाँ सबसे मनमोहक दृश्य है रावण का कैलाश पर्वत उठाना। ऐसे लगता है जैसे साक्षात रावण ने कैलाश उठाने के लिए अपनी भुजाएँ फैलाकर कैलाश के तल को जैसे घेर लिया हैं और इतने जोर से हिलाया है की कैलाश के अन्य जीव भी काँप गए है। फिर भगवान शिव पैर के अँगूठे से पर्वत को हल्के से दबाकर रावण के गर्व को चूर-चूर कर रहे हैं। इस मनमोहन दृश्य में है शिल्पकारों ने ऐसी शिल्पकारी करी है, पत्थर की मूर्तियाँ में भी जीवन आ गया है। ऐसा लगता है मानो साक्षात भगवान हमारे समक्ष है। एलोरा की गुफाओं का यह वैभव भारतीय मूर्तिकला की सर्वश्रेश्ठ उपलब्धि है।

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image via- Shreyans69, Panoramic view of Kailash Temple Ellora, CC BY-SA 4.0

एलोरा की गुफ़ाओं में इतना आकर्षण है कि यहाँ आने वाले सभी पर्यटक इन्हें देखकर आश्चयचकित हो उठते हैं। इसकी सुंदरता देख कर उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं होता। कैलाश मंदिर का पूरा क्षेत्र बहुत खुला और शांत है। बौद्ध तथा जैन भिक्षुओं हमेशा देखे जाते है, इसके अतिरिक्त देशी-विदेशी पर्यटकों की भी यहाँ पूरे साल चहल-पहल रहती है। मंदिर की इस अद्भुत,अलौकिक और अविश्वसनीय इंजीनियरिंग ने कैलाश मंदिर को भारतीय कला और वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण बना दिया है। हमारी तरफ से उन उत्तम कारीगरों को धन्यवाद।

 

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