जिस घर मे औरत है वह स्वर्ग है, औरत से ही घर स्वर्ग बनता है। यह लाइन तो हम सब ने सुनी है। और कहीं न कहीं यह बात सच भी है। एक औरत अपने जीवन मे अनेकों रूप लेती है, माँ, बहन, पत्नी और दोस्त…जीवन के हर मोकाम पर एक अलग रूप मे वह हमारे साथ खड़ी होती है। हम उनके बिना कभी क्या करेंगे? यह हम सोच भी नहीं सकते। माँ के रूप मे बच्चों की ढाल, पत्नी के रूप मे जीवन के सफर की साथी, और कभी हमारी सच्ची दोस्त…औरत के इसी जज्बे और इसी नारीत्व (Womanhood) का जश्न मानाने के लिए, हर साल पुरे विश्व मे 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) दुनिया भर में महिलाओं की उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए समर्पित है। यह महिलाओं के लिए वह ख़ास दिन जब वह अपनी आजादी का जश्न खुलकर मनाती हैं। यह दिन महिलाओं के अधिकारों और समानता पर भी केंद्रित है, जिन्हे महिलाओं ने कई वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद पाया है। महिलाओं के इस उत्सव, के पीछे एक रोचक इतिहास है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) को मानाने से पहले, इस विशेष दिन के पीछे के इतिहास पर एक नज़र डालते है।
क्यों अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है? कब पहली बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था ?और आज वर्तमान समय मे यह दिवस कैसे मनाया जाता है?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उद्देश्य / Objective of International Women’s Day
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने के उद्देश्य समय और स्थिति के साथ निरंतर परिवर्तित होते रहे है। 19 वी शताब्दी में जब इसकी शुरुआत की गई थी, तब महिलाओं के लिए इसका उद्देश्य मतदान का अधिकार प्राप्त करना था, परंतु अब समय बदलने के साथ इसके उद्देश्य भी बदल गए है।
आज महिला दिवस मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिला और पुरुषो में समानता बनाए रखना है। विश्व मे कई ऐसे देश है जहां महिलाओं को आज भी समानता का अधिकार उपलब्ध नहीं है और कई देशों में तो महिलाएं शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी पिछड़ी हुई है।
वैसे तो आज हम इतने विकसित हो गए है की चाँद पर पहुंच गए है, परन्तु हमारी मानसिकता आज भी नहीं बदली, महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले अब भी देखे जा सकते है। महिला दिवस मनाने के पीछे एक उद्देश्य लोगों को इस संबंध में जागरूक करना भी है ताकि महिलाओं का आर्थिक और सामाजिक रूप से विकास हो सके। साथ ही आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र मे भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले और भविष्य मे खुब प्रगति करे।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरूआत कैसे हुई? How did International Women’s Day begin?
साल 1908 मे एक महिला मजदूर आंदोलन की वजह से महिला दिवस मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई। इस दिन 15 हज़ार महिलाओं ने साथ मिल कर, काम के लंबे घंटे कम करने, बेहतर वेतन और कुछ अन्य अधिकारों की मांग को लेकर अमेरिका के न्यूयार्क शहर में विरोध प्रदर्शन किया। इन महिलाओं के एकजुट होकर आंदोलन करने के एक साल बाद यूनाइटेड स्टेट्स में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने 28 फरवरी 1909 को पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास / History of International Women’s Day
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का 108 साल पुराना एक समृद्ध इतिहास है। इसकी पहली झलक 1909 में दिखी थी, जब 15,000 महिलाओं ने लंबे काम के समय कम कराने और न्यूयॉर्क शहर में मतदान के अधिकारों की कमी का विरोध किया था, जिसके बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार महिला दिवस मनाया।
इसके बाद 1910 में जर्मनी की एक महिला क्लारा जेटकिन (Clara Zetkin) ने महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का विचार रखा। क्लारा जेटकिन ने कहा कि पूरे विश्व में प्रत्येक देश की महिलाओं को अपने विचार को रखने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने की योजना बनानी चाहिए। क्लारा जेटकिन के इस विचार के बाद एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मलेन में 17 देशों की 100 महिलाऐं सम्मिलित हुईं। इन सभी के सामने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मानाने का सुझाव रखा गया और सब ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने पर अपनी सहमति व्यक्त की। जिसके बाद 19 मार्च 1911 मे, जर्मनी, आस्ट्रिया, डेनमार्क और स्विट्जरलैंड में पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। वहीं बाद में साल 1913 में इस तारीख को बदल कर 8 मार्च कर दिया।
इस तरह से यह प्रथम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस था। परंतु अब तक इसे मनाने के लिए कोई निश्चित दिन या तिथि नहीं थी। इसके बाद 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूस के 2 लाख से ज्यादा सैनिक मारे गए। इस युद्ध से तंग आकर रूस की महिलाओं ने खाना और शांति (Bread and Peace) के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू किया। हलाकि समाज के अनेक लोग तथा राजनेता इसके खिलाफ थे, फिर भी महिलाओं ने किसी की नहीं सुनी और अपना प्रदर्शन जारी रखा।
यह विरोध इतना विशाल तथा संगठित था कि रूस के सम्राट निकोलस (Nicholas) को अपना पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और इसके बाद मौजूदा सरकार को यहाँ की महिलाओं को मतदान का अधिकार देने की घोषणा करनी पड़ी।
जिस दिन इन महिलाओं ने यह हड़ताल शुरू की थी वो तारीख़ थी 23 फरवरी, जो ग्रेगेरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) के अनुसार 8 मार्च का दिन था। तभी से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) 8 मार्च को मनाया जाने लगा।
इस सब के बावजूद इसे आधिकारिक मान्यता कई वर्षों बाद मिली। 1975 में, संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को आधिकारिक रूप से मान्यता दी, और 1996 से हर साल के लिए एक वार्षिक थीम को अपनाना शुरू किया। इसकी सबसे पहली थीम “सेलीब्रेटिंग द पास्ट एंड प्लानिंग फॉर द फ्युचर” (Celebrating the past, Planning for the Future) थी, यानि अतीत का उत्सव और भविष्य की योजना। इसके बाद से लगातार हर साथ एक नई थीम और नए उद्देश्य के साथ इसे कई देश एक साथ मनाते आ रहें है। वर्ष 2020 की थीम #EachforEqual को एक साझा लक्ष्य माना गया है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, दुनिया भर में कैसे मनाया जाता है? How is International Women’s Day celebrated around the world?
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) अब लगभग सभी विकसित, विकासशील देशों में मनाया जाता है। विश्व मे कम से कम 20 देशों में इस दिन आधिकारिक अवकाश होता है, जिसमे अफगानिस्तान, क्यूबा, लाओस, रूस,कंबोडिया, नेपाल और जार्जिया आदि देश शामिल है। इसके अलावा कुछ देशों में पूरे दिन का अवकाश ना देकर हाफ डे दिया जाता है। कई देशों में, परंपरा है कि इस दिन पुरुष अपनी मां, पत्नी, बहन और फ़्रेंड्स को फूल और छोटे उपहार देकर सम्मानित करते हैं। वही कुछ देशों में, यह दिन बहुत हद तक माँ को समर्पित होता है, जिसमें बच्चे अपनी माताओं और दादियों को उपहार देते हैं। चाहे दुनिया भर के देशों में इस दिन को मनाने का तरीका अलग अलग हो, परंतु सब जगह इसका उद्देश्य एक ही है, और वो है, हर जगह हर क्षेत्र में महिलाओं का सम्मान और उनके लिए समानता।
भारत में भी महिला दिवस व्यापक रूप से मनाया जाता है। पूरे देश में इस दिन महिलाओं को समाज में उनके विशेष योगदान देने के लिए सम्मानित लिया जाता है जिसके लिए विभिन्न समारोह आयोजित किए जाते हैं। महिलाओं के लिए काम कर रही कई संस्थानों द्वारा जगह-जगह महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रशिक्षण शिविर लगाए जाते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। समाज, राजनीति, संगीत, फिल्म, साहित्य, शिक्षा क्षेत्रों मे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए महिलाओं को सम्मानित किया जाता है।
महिला दिवस कैसे मनाया जाए / How to celebrate International Women’s Day
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) का उत्सव आप कई तरह से मना सकते हैं। यह दिन महिलाओं को उनकी सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक आजादी दिलाने व उन महिलाओं का याद करने का दिन है, जिनकी कड़ी मेहनत और त्याग के कारण ही आज हम यह दिन देख रहे है।
दुनियाभर मे इस दिन अनेकों कार्यक्रम आयोजित किये जाते है, आप उन कार्यक्रमों में शामिल हो कर इस जश्न का हिस्सा बन सकते है, अगर ऐसा करना संभव नहीं है तो आप अपने आस पास की महत्वपुर्ण महिलाओं के लिए कुछ विशेष कर सकते है, जैसे उनके लिए उनकी पसंद का खाना बनाना या उनके लिए कोई उपहार या बस उनके साथ थोड़ा समय बिता कर भी आप उनका दिन बना सकते है।
और यदि आप यह करने मे भी समर्थ नहीं है तो आप बस बैंगनी (Purple) रंग के कपडे पहनकर भी इस उत्सव मे शामिल हो सकते है। बैंगनी (Purple) रंग न्याय और गरिमा का रंग है जो अब महिलाओं के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतीक बन गया है। साथ ही हरे और सफेद रंग के कपडे भी पहने जा सकते है। हरा उम्मीद का प्रतीक है। सफेद शुद्धता का प्रतिनिधित्व करता है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2021 थीम /Theme for International Women’s Day 2021
अगर हम 1911 से लेकर 2021 तक गिनती करे तो यह 110 वा महिला दिवस होगा, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाएगा। यह दिन पूरे विश्व में एक साथ 8 मार्च को अपने-अपने तरीके से सेलिब्रेट किया जायेगा। परन्तु एक थीम के साथ। जैसे की आप जाते है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day)के लिए हर साल एक थीम निर्धारित की जाती है और उसी के आधार पर उत्सव मनाया जाता है। तो इस साल यानी 2021 की थीम है #ChooseToChallenge । अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की वेबसाइट कहती है कि “महिलाओं के लिए सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करने के लिए इस विषय को चुना है। #ChooseToChallenge कहता है की “अपने हाथ उठाओ और यह दिखाओ की आप इस बदलाव मे शामिल है और असमानता को चुनौती देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सारांश
भारत में आज धीरे धीरे परिस्थितियाँ बदल रही हैं। आज एक महिला को अनेकों अधिकार प्राप्त है। भारत में आज महिला आर्मी, एयर फोर्स, पुलिस, इंजीनियरिंग, चिकित्सा जैसे क्षेत्र में पुरूषों के कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं। माता-पिता अब बेटे-बेटियों में कोई फर्क नहीं समझते हैं। भारत की आधुनिक सोच मे महिला और पुरष सामान है। परन्तु यह सोच समाज के कुछ ही वर्ग तक सीमित है। आज भी देश के कहीं हिस्से ऐसे है जहाँ औरत को घर से निकलने तक की इजाजत नहीं है, समानता तो दूर की बात। आज भी औरत को जानवर समझा जाता है बस घर की चार दीवारों के अंदर कैद करके रखा जाता है।
हकीकत में महिला दिवस तब ही सार्थक होगा जब विश्व भर में महिलाओं को मानसिक व शारीरिक रूप से संपूर्ण आज़ादी मिलेगी, जहाँ उन्हें कोई प्रताड़ित नहीं करेगा, जहाँ उन्हें दहेज के लालच में जिन्दा नहीं जलाया जाएगा, जहाँ बलात्कार नहीं किया जाएगा, जहाँ उसे बेचा नहीं जाएगा। समाज के हर महत्वपूर्ण फैसलों में उनके विचारों को महत्वपूर्ण समझा जाएगा। तात्पर्य यह है कि उन्हें भी पुरूष के समान एक इंसान समझा जाएगा न की जानवर। जहाँ वह सिर उठा कर अपने महिला होने पर गर्व करे, न कि पश्चाताप कि काश मैं एक लड़का होती।
Yes this is women power 👍👍💐