दिल्ली भारत की राजधानी है और इस दिल्ली की शान और पहचान है – कुतुब मीनार (Qutub Minar)। जो अपने लाल और चमकीले बलुआ पत्थर से बनी मीनार की सुंदरता के कारण विश्व प्रसिद्ध है। भारतीय इस्लामी वास्तुकला (Indo-Islamic architecture) के बेहतरीन उदाहरणों में से एक, कुतुब मीनार दुनिया की सबसे ऊंची ईंट से बनी मीनार है साथ ही यह स्थान भारत में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में भी शामिल है। कुतुब मीनार के आसपास कई ऐतिहासिक और भव्य इमारतें भी स्थित हैं। कुतुब मीनार दिल्ली के उन प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है, जिसे देखने हर साल लाखों लोग आते हैं। लेकिन इन लोगों मे से शायद ही कोई इस धरोहर की वास्तविकता के बारे मे जानता होगा। क़ुतुब मीनार से जुड़े कई ऐसे अकल्पनीय, रोचक तथा अद्भुत तथ्य है जिनके बारे में किसी ने कभी न सुना, न पढ़ा हो। तो आइए जानते हैं इस विश्व धरोहर स्थल से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
कुतुब मीनार से जुड़े 11 रोचक और अद्भुत तथ्य / Interesting and amazing facts of Qutub Minar
1 विष्णु स्तंभ
कुछ एतिहासिक मान्यताओ के अनुसार कुतुब मीनार एक प्राचीन हिन्दू स्थान है। जिसका वास्तविक नाम विष्णु स्तंभ है जिसे कुतुबदीन ने नहीं बल्कि सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक और खगोलशास्त्री वराहमिहिर ने बनवाया था।
2 भगदड़
1974 से पहले, आम जनता को मीनार के चोटी तक जाने की अनुमति थी, परन्तु साल 1981 को हुई एक भयानक दुर्घटना के बाद से मीनार के अंदर के हिस्से मे जाना वर्जित है। 4 दिसंबर 1981 को, जब मीनार के अंदर 300-400 लोग थे, अचानक से बिजली की चली गई और टॉवर की सीढ़ियों मे अँधेरा होगा इसी डर के कारण लोगो मे भगदड़ मच गई। इस भगदड़ के दौरान कई लोग घायल हुए और लगभग 45 लोग मारे गए थे। उस दिन के बाद से मीनार के अंदर जाने पर प्रतिबंध है।
3 देवानंद साहब की इच्छा
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता और निर्देशक देवानंद साहब यहाँ इस कुतुब मीनार में बॉलीवुड के प्रसिद्ध गाने ‘दिल का भंवर करे पुकार’ की शूटिंग करना चाहते थे, लेकिन मीनार के छोटे रास्तों में कैमरे फिट नहीं हो पा रहे थे, जिसके चलते यहां शूटिंग नहीं हो सकी। लेकिन इस मीनार की खूबसूरती दिखने के लिए उन्होंने ने कुतुब मीनार का हूबहू प्रतिरूप बनवाया और तब उसमे शूटिंग की गई थी।
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4 एक अधूरा सपना
अलाउद्दीन खिलजी (Alauddin Khilji) चाहते थे कि कुतुब मीनार जैसी एक और इमारत बने, जो कुतुब मीनार की ऊंचाई से दोगुनी हो। इस मीनार का निर्माण शुरू तो हुआ, लेकिन यह पूरा नहीं हो सका। अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के समय, यह ईमारत लगभग 27 मीटर तक बनी थी, लेकिन अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद, उसके वंशजों ने उस नई ईमारत मे कोई रूचि नहीं दिखाई और निर्माण कार्य बंद हो गया और उसका वो ख्वाब भी अधूरा ही रह गया। इसे ‘अलाई मीनार’ का नाम दिया गया था। यह अधूरी मीनार, कुतुब मीनार और कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के उत्तर में स्थित है।
5 झुकी हुई मीनार
यह संरचना सीधी खड़ी नहीं है बल्कि थोड़ी झुकी हुई है। कुतुब मीनार (Qutub Minar) दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगभग 25 इंच तक का झुकी हुई है, माना जाता है कि अतीत में हुए बहुत सारे निर्माण और डी-कंस्ट्रक्शन के कारण ऐसा हुआ है।
6 कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद
कुतुब मीनार के पास ही स्थित है भारत में बनने वाली पहली मस्जिद – कुव्वत-उस-इस्लाम मस्जिद। यह क़ुतुब मीनार परिसर का हिस्सा है। इसका अर्थ है ‘इस्लाम की शक्ति’। इस इमारत का निर्माण मूल रूप से इस्लाम की शक्ति का प्रचार करने के लिए किया गया था। इस मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की नींव पर किया गया था। भारत में बनने वाली यह पहली मस्जिद अब खंडहर बन चुकी है।
7 लौह स्तंभ / इच्छापूर्ति स्तंभ
कुतुब मीनार परिसर में 2,000 साल पुराना, 7 मीटर लंबा, एक लौह स्तंभ (Iron pillar) है, जिसकी विशेषता यह है कि सैकड़ों वर्ष पुराने होने के बाद भी इस लोहे के खम्बे में अभी तक जंग नहीं लगा है। इसके अशोका स्तंभ के नाम से भी जाना जाता है। इस लौह स्तंभ को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं। यह माना जाता है कि यदि आप इसकी तरफ अपनी पीठ करके खड़े होते हैं और इसके चारों ओर अपनी बाहों को लपेट पाते हैं, तो आपकी कोई भी इच्छा पूरी हो जाएगी। हालाँकि अब इसे बंद कर दिया गया है।
8 दीवारों पर खुदाई
कुतुब मीनार की ये ऐतिहासिक ईमारत आज भी इंडो-इस्लामिक आर्किटेक्चर का एक बेहतरीन नमूना मानी जाती है। इस संरचना की बाहरी दीवारों पर अरबी और नागोरी अक्षरों से खुदी हुई हैं। जिसमे कुतुब मीनार के पूरे इतिहास को शिलालेखो के जरिये दर्शाया गया है। इनमें से कुछ पर कुरान के छंद भी लिखे हैं।
9 नाम का खेल
क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) के नाम को लेकर लोगो की अलग अलग राय है। कुछ का मानना है कि इसका नाम कुतुब-उद्दीन ऐबक के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने इसका निर्माण शुरू किया था। जबकि दूसरों का दावा है कि इसका नाम ख्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था जो कि बगदाद के प्रसिद्ध और महान संत थे। साथ ही वे कुतुब-उद्दीन ऐबक के उत्तराधिकारी इल्तुतमिश द्वारा बहुत सम्मानित थे।
10 कितना ऊंचा
क़ुतुब मीनार ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है, इसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है। कुतुब मीनार का व्यास आधार (Base) पर 14.32 मीटर और शीर्ष (Top) पर 2.75 मीटर है। मीनार (Tower) के अंदर 379 सीढि़यों वाली गोल सीढ़ी हैं, जो ऊपर तक जाती हैं।
एक रोचक तथ्य – कुतुब मीनार और ताजमहल की ऊंचाई लगभग बराबर है, परन्तु कुतुब मीनार जरा से अंतर से हार गया। कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है जबकि ताजमहल की ऊंचाई 73 मीटर है।
11 निर्माण
दिल्ली के कुतुब मीनार (Qutub Minar) का निर्माण तीन चरणों मे हुआ था। गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने वर्ष 1199 में कुतुब मीनार का का आधार बनवाया, इसके बाद उसके दामाद और उत्तराधिकारी शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने तीन मंजिलें बनवाई और 1368 में बिजली गिरने से तबाह होने के बाद, फ़िरोज़शाह तुगलक ने इसकी मरम्मत करवाई और 2 मंजिलों को जोड़कर इसे कुल 5 मंजिल बना दिया।
12 क़ुतुब मीनार परिसर
कुतुब मीनार (Qutub Minar) के आस पास के क्षेत्र को क़ुतुब मीनार परिसर या कुतुब कॉम्प्लेक्स (Qutub Complex) कहा जाता है। कुतुब मीनार परिसर में आधा दर्जन से अधिक, कई महान ऐतिहासिक स्मारक बने हुए है जिनमे दिल्ली का लौह स्तंभ (Iron Pillar), कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (Quwwat-ul-Islam Mosque), अलाई दरवाजा (Alai Darwaza), इल्तुतमिश का मकबरा (Tomb of Iltutmish), अलाई मीनार (Alai Minar), अला-उद-दीन का मकबरा (Ala-ud-din’s Tomb), इमाम ज़मीन का मकबरा (Tomb of Imam Zamin), मेजर स्मिथ का कपोला (Major Smith’s Cupola) और सैंडरसन की सन डाइल (Sanderson’s Sundial)। यह सब इमारतें विशेष रूप से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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