भारत एक प्राचीन देश है और प्राचीन देश की सबसे बड़ी खासियत उसकी विरासत होती है। भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए दुनिया भर में मशहूर है। यहां कई ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनकी अद्भुत शिल्पकारी एवं बनावट देखते ही बनती है, उन्हीं में एक है, विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) जिसका निर्माण शुद्ध सोना धातु का इस्तेमाल कर किया गया है। स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) पंजाब के अमृतसर शहर में स्थित है।
स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) सिख धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है जिसे श्री हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही स्वर्ण मंदिर को दरबार साहिब भी कहा जाता है। स्वर्ण मंदिर अपनी अद्भुत तथा आकर्षक वास्तुकला के लिए पूरी दुनिया भर में मशहूर है। चमकदार सोने की दीवारों और कलात्मक बनावट के कारण दुनिया भर के लाखों लोग इस संरचना की और आकर्षित होते है और केवल सिख धर्म के लोग ही नही बल्कि दूसरे धर्मो के लोग भी इस मंदिर में आते है।
स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) सद्भाव और समानता का प्रतीक है। श्री हरमंदिर साहिब ने पंजाब के समृद्ध इतिहास में एक अभिन्न भूमिका निभाई जो इस धार्मिक विरासत को सिखों के लिए सबसे प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थल बनाती है। आज हम आपको इस आर्टिकल मे इस मनमोहक स्थल से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं। जिन्हे पढ़ कर आप भी इस पवित्र स्थल से अपने आपको जुड़ा हुआ महसूस करेंगे और जीवन मे एक बार यहाँ अवश्य जाएंगे।
Golden Temple (श्री हरमंदिर साहिब) से जुड़ी 10 अद्भुत बातें
1 स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) का निर्माण
स्वर्ण मंदिर के निर्माण से जुड़ा तथ्य बहुत ही दिलचस्प है। मंदिर बनने से पहले, सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी, इस स्थल पर ध्यान करते थे। इसकी नीव एक मुस्लिम सूफी पीर साईं मियाँ मीर ने रखी थी, जबकि सिखों के चौथे गुरु गुरु राम दास जी ने 1577 में इसकी स्थापना की थी। हालाँकि, श्री हरमंदिर साहिब का निर्माण पांचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव जी द्वारा शुरू किया गया था, उन्होंने ही श्री हरमंदिर साहिब की पूरी वास्तुकला को भी डिजाइन किया। निर्माण 1581 में शुरू हुआ और इसे पूरा होने में लगभग 8 साल लगे, 1589 मे गुरुद्वारा बनकर तैयार हुआ। गुरु अर्जन देव जी ने 1604 गुरु ग्रंथ साहिब जी को गुरुद्वारा में स्थापित किया।
2 सोने की परत की वजह से पड़ा नाम स्वर्ण मंदिर (Golden Temple)
आज जिस स्वर्ण मंदिर को आप देखते हैं, वह जब पहली बार निर्मित हुआ था तो ऐसा नहीं था। यह पहले ईंटों और पत्थरों से बना था इस पर सोने का एक इंच भी नहीं था। गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के बाद, इस गुरुद्वारे पर इस्लामी शासकों द्वारा लगातार हमले किए गए, इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया गया था। फिर 19वीं शताब्दी की शुरुआत में एक बहादुर सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh), ने सफेद मार्बल का इस्तेमाल करके गुरूद्वारे का पुनर्निर्माण किया और बाहरी संरचना में सोने की एक शानदार परत चढ़वाई और तब से श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के रूप में प्रसिद्ध हो गया। इस पर 24-कैरेट शुद्ध सोने की परत चढ़ी है जो आज के भारतीय बाज़ारो मे मिलने वाले 22-कैरट सोने की तुलना में अधिक शुद्ध है। उस समय करीब 160 किलो सोना लगा था।
3 स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) के चार प्रवेश द्वार
स्वर्ण मंदिर मे चार प्रवेश द्वार है जो उत्तर, पूर्व, पश्चिम और दक्षिण चारों दिशाओं की तरफ खुलते है। यह चार अलग-अलग प्रवेश द्वार स्वीकृति और खुलेपन का चिन्ह है जो यह सन्देश देते है यह पवित्र गुरुद्वारा सभी धर्मों के लिए खुला है। यहाँ लिंग, जाति, पंथ या धर्म के परे सभी का स्वागत है और इस बात प्रमाण यह है की श्री हरमंदिर साहिब की आधारशिला एक मुस्लिम संत मियां मीर ने रखी थी। स्वर्ण मंदिर मे ईश्वर से अधिक कुछ भी महत्वपुर्ण या पवित्र नहीं है। वास्तव में, स्वर्ण मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों में से 35 प्रतिशत गैर-सिख हैं।
4 पवित्र सरोवर से घिरा हुआ
स्वर्ण मंदिर एक पवित्र तालाब से घिरा हुआ है जिसे अमृत सरोवर कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ है ” अमृत का कुंड“। यह 1577 में गुरु राम दास द्वारा खोदा गया कृत्रिम तालाब है। भक्त गुरूद्वारे में दर्शन करने से पहले सरोवर के पवित्र जल में स्नान करते हैं। उनका मानना है कि पवित्र जल में डुबकी लगाने से आध्यात्मिक ऊर्जा व ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा, कई कथाओं के अनुसार यह माना जाता है अमृत सरोवर में औषधीय गुण भी हैं, अमृत सरोवर में एक पवित्र डुबकी कई बीमारियों और विकारों को ठीक कर सकती है।
5 जमीनी स्तर से नीचे के स्तर पर स्थित
इस विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी सीढ़ियां ऊपर की तरफ नहीं, बल्कि नीचे की तरफ जाती हैं जो कि मनुष्य को ऊपर से नीचे की तरफ आना यानि जीवन मे विनम्र रहना सिखाती हैं। दरअसल स्वर्ण मंदिर की पहली मंजिल अमृत सरोवर में डूबी हुई है और केवल कार सेवा के दौरान दिखाई देती है। चूंकि स्वर्ण मंदिर जमीन के निचले स्तर पर विशिष्ट रूप से स्थापित है, इसलिए मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियां नीचे की ओर जाती हैं। यह अन्य हिंदू मंदिरों के बिल्कुल विपरीत बना है जो हमेशा जमीन से ऊपर एक ऊंचे मंच पर बने होते हैं। स्वर्ण मंदिर की यह विशेषता विनम्र जीवन का प्रतीक है।
6 भगवान बुद्ध ने स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) के पवित्र स्थल पर ध्यान लगाया
ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि भगवान बुद्ध कुछ समय के लिए स्वर्ण मंदिर के पवित्र स्थल पर रहे थे। उस समय, यहाँ घने जंगलो से घिरी एक प्राचीन झील थी। बुद्ध ने इस स्थान को साधु संतों के ध्यान के लिए एक आदर्श स्थान माना था। जीवन के वास्तविक अर्थ की खोज के दौरान, उन्होंने ध्यान के लिए इस स्थल को एक दिव्य स्थल के रूप में सुझाया। बुद्ध द्वारा इस पवित्र स्थल पर ध्यान लगाना स्वर्ण मंदिर को ओर दिव्य बना देता है।

7 बाबा दीप सिंह का निधन
बाबा दीप सिंह भारत के इतिहास में सबसे सम्मानित शहीदों में से एक हैं। ऐसा माना जाता है की उन्होंने कसम खाई थी की वे श्री हरमंदिर साहिब में अंतिम सांस लेंगे। 1757 में, जब अमृतसर पर अफगान सेना द्वारा आक्रमण किया गया था, तो बाबा दीप सिंह ने पांच हजार लोगों के साथ लड़ाई लड़ी थी। कहा जाता है की भीषण युद्ध के दौरान उनका सिर उनके शरीर से अलग हो गया था। परन्तु दुश्मनों का अंत करने के लिए उन्होंने अपना सिर एक हाथ मे पकड़ा और दूसरे हाथ मे तलवार पकड़ी और लड़ना शुरू किया। युद्ध करते करते वो हरमंदिर साहिब (Golden Temple) की परिधि में पहुंच गए जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
8 भारतीय और मुगल वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक
अपनी अद्भुत बनावट और आर्कषक चित्रकारी की वजह से अमृतसर का स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) पूरी दुनिया भर में मशहूर है। इस स्वर्ण मंदिर की कारीगिरी मुगल और भारतीय वास्तुकला का एक अनूठा मिश्रण है। यह मंदिर संगमरमर की मूर्तियों और चित्रों से सजाया गया है जो ताजमहल के समान दिखते हैं। शीर्ष पर गुंबद शुद्ध सोने से बना है और गुरुद्वारा भी अद्भुत कलाकारी वाले सोने के पैनलों से सजा हुआ है। यहां तक कि छत कीमती पत्थरों और सोने से सजी है। हाथ से पेंट किए गए मोज़ाइक और पैटर्न के साथ, स्वर्ण मंदिर मुगल और भारतीय शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

9 सबसे बड़ी लंगर सेवा
श्री हरमंदिर साहिब (Golden Temple) दुनिया में सबसे बड़ी लंगर सेवा का आयोजन करता है। यह प्रतिदिन लगभग 100,000 से ज्यादा लोगो लंगर करवाया जाता है। सभी धर्मो के लोग बिना किसी जाति या धर्म के भेदभाव के, फर्श पर एक साथ पंक्तियों में बैठते हैं और भोजन करते है। यहां सभी लोगो को समान माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार मुगल सम्राट अकबर ने भी गुरु के लंगर में आम लोगों के साथ प्रसाद ग्रहण किया था। विशेष धार्मिक उत्सवों के दौरान 200,000 से अधिक लोग यहाँ लंगर चखते है। यहाँ परोसे जाने वाला सभी भोजन भक्तो द्वारा दान दिए गए सामान से ही बनता है।
10 स्वयंसेवक (Volunteers)
पौराणिक स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) हर महीने लाखों भक्तों को आकर्षित करता है, दुनिया भर से लोग यहाँ आते है। इस प्रतिष्ठित गुरुद्वारे का संचालन और रखरखाव पूरी तरह से दान के माध्यम से किया जाता है। लेकिन नियमित रूप से खाना पकाने, सफाई करने और भोजन परोसने का काम स्वयंसेवकों द्वारा किया जाता है जो यहां मुफ्त में काम करते हैं, अपनी इच्छा से। इस स्थान का आकर्षण ही ऐसा है की यहाँ आने वाले लोग अक्सर शांति और संतोष की भावना महसूस करते हैं और इससे जुड़ जाते है।
अमृतसर का स्वर्ण मंदिर भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। हर साल सैकड़ों हजारों लोग यहाँ अपनी प्रार्थना करने के लिए आते हैं। हम सभी को अपने जीवन मे एक बार के स्वर्ण मंदिर की यात्रा निश्चित रूप करनी चाइए। यह स्थान दिव्य है यहाँ परमात्मा की दर्शन होते है।
Whaguru ji 🙏🙏🙏🙏👍👍💐