गंगा नदी का रूट बहुत लम्बा है। यह हिमालय (Himalaya) के दक्षिणी ढलान (southern slope) पर गंगोत्री ग्लेशियर (Gangotri glacier) से निकलती है, जो समुद्र तल (Sea Level) से लगभग 14,000 फीट ऊपर है। गंगा नदी की कुल लम्बाई 2510 किलोमीटर या 1560 माइल्स से भी ज्यादा है।
गंगोत्री को गंगा नदी का उद्गम स्थल कहा जाता है। हालाँकि, यह वास्तव में गंगा की 6 प्रमुख धाराएँ भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, नंदाकिनी, धौलीगंगा और पिंडर में से एक का स्रोत है जिसे भागीरथी के नाम से जाना जाता है। इसके साथ एक और शक्तिशाली मुख्य नदी अलकनंदा है। भागीरथी और अलकनंदा गढ़वाल हिमालय की दो प्रमुख नदियाँ हैं, जो दोनों ग्लेशियरों की शक्तिशाली चौखम्बा श्रेणी से निकलती हैं। चौखम्बा गढ़वाल हिमालय के गंगोत्री समूह में एक पहाड़ी समूह है। इसका मुख्य शिखर, चौखम्बा 1 समूह की सबसे ऊँची चोटी है। यह गंगोत्री ग्लेशियर के सिर पर स्थित है।

गंगोत्री क्या है?
गंगोत्री चार धाम की तीर्थयात्रा के चार स्थलों में से एक है, अन्य यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैं। गंगोत्री ग्लेशियर उत्तराखंड के, उत्तरकाशी जिला में स्थित है। कहा जाता है, गंगोत्री ग्लेशियर का मुंह एक गाय के मुंह से मिलता जुलता है, इसलिए इस स्थान को गोमुख भी कहा जाता है। गौमुख भागीरथी नदी का स्रोत है। गोमुख शिवलिंग के आधारशीला के पास स्थित है और जिसके बीच में तपोवन घास का मैदान है।
भागीरथी का उद्गम गंगोत्री के (जिसे गंगोत्री ग्लेशियर कहा जाता है) चौखम्बा श्रेणी के उत्तर-पश्चिमी मुख पर है। अलकनंदा नदी का उदय सतोपंथ और भागीरथ खरक ग्लेशियरों के संगम पर होता है जो चौखम्बा के ग्लेशियर क्षेत्र के दक्षिण-पूर्वी ढलान पर है। यह दोनों नदियाँ मिलकर गंगा नंदी की मुख्य धारा के निर्माण का कार्य करती है।
उत्पत्ति के बाद, अलकनंदा पहले सरस्वती नदी से मिलती है, और फिर बद्रीनाथ मंदिर के सामने से बहती है। फिर यह धौलीगंगा नामक अपनी सहायक नदी से मिलती है। जब अलकनंदा धौलीगंगा से मिलती है, तो इसे विष्णुप्रयाग कहा जाता है। यह दो धाराएँ अब एक हो जाती हैं और आगे बढ़ती हैं। अगली मुख्य धारा नंदकिनी है, जो नंदप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है। यहाँ से अलकनंदा नदी शक्तिशाली हो जाती है और आगे कर्णप्रयाग में पिंडर नदी से मिलती है। कर्णप्रयाग के बाद, मंदाकिनी नदी इस धारा से जुड़ती है और इसे रुद्रप्रयाग कहा जाता है। अंत में, देवप्रयाग में अलकनंदा भागीरथी से मिलती है और यहाँ से, ये दोनों नदियाँ मिलकर मुख्य धारा का निर्माण करती है जिसे गंगा कहा जाता है। अलकनंदा नदी लगभग 190 किमी तक बहने के बाद देवप्रयाग में भागीरथी नदी से मिलती है।
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इस प्रकार सभी 6 मुख्य धाराएँ हैं जो गंगा नदी के बनाने में योगदान देती हैं। इन पाँच प्रयागों या संगमों को सामूहिक रूप से पंचप्रयाग कहा जाता है।
हिमालय से 250 किलोमीटर बहने के बाद, शिवालिक रेंज (बाहरी हिमालय) के मध्य से ऋषिकेश के पहाड़ों से निकलती है, और फिर गंगा हरिद्वार के मैदानी क्षेत्र में बहती है हरिद्वार में गंगा का कुछ पानी गंगा कैनल (Canal) में डाला जाता है, जिससे उत्तर प्रदेश के दोआब क्षेत्र को सिंचाई होती है। यह कन्नौज, फरुखाबाद से होकर 800 किलोमीटर की दूरी तय करती है, और कानपुर पहुंचती है। गंगा के कानपुर पहुंचने से पहले, दो महत्वपूर्ण नदियाँ इसमें शामिल हो जाती हैं। एक शारदा नदी है और दूसरी रामगंगा है। नेपाल में शारदा नदी को काली नदी के नाम से जाना जाता है लेकिन भारत में इसे शारदा नदी के नाम से जाना जाता है। काली नदी कुछ स्थानों पर नेपाल के साथ जुड़ते हुए भारत की पूर्वी सीमा का निर्माण करती है और जब यह उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में पहुँचती है, तो इसे शारदा कहा जाता है। काली नदी बहराइच तक बहती रहती है, जहाँ इसे सरयू नदी के नाम से जाना जाता है। सरयू नदी उत्तर प्रदेश के बहराइच में गंगा से मिलती है।
कानपुर के बाद, गंगा, इलाहाबाद के त्रिवेणी संगम पर यमुना में मिलती है। हिंदू धर्म में यह एक सबसे पवित्र संगम। इनके संगम के समय यमुना गंगा से बड़ी होती है। इसके बाद, कई धाराएं जैसे तमसा नदी, घाघरा नदी, गोमती नदी, गंडकी नदी, कोसी नदी विभिन्न स्थानों पर इसमें शामिल हो जाती हैं। बिहार के भागलपुर तक दक्षिण पूर्व में बहने वाली यह गंगा, एक ही धारा मे बहती है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण दक्षिणी सहायक नदी सोन नदी है। फिर झारखंड के पाकुड़ से, गंगा विभिन्न भागो में विभाजित होने लगती है।
इसके बाद गंगा दक्षिण की और मुड़ती है, और पश्चिम बंगाल राज्य के मध्य से बहती हुई डेल्टा के शीर्ष पर पहुँचती जाती है। पश्चिम बंगाल अंतिम भारतीय राज्य है, जो गंगा नदी के रूट में आता है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के फरक्का बैराज में गंगा के प्रवाह को नियंत्रित किया जाता है। फरक्का बैराज में गंगा नदी की दो सहायक नदियाँ भगीरथी-हुगली पहले से ही मौजूद हैं, जो पश्चिम बंगाल के दो शहरों कोलकाता और हावड़ा में बहती है। यह भगीरथी और हुगली नदियाँ बाद में एक हों जाती है और हुगली नदी बन जाती है। हुगली नदी बंगाल की खाड़ी में पहुँचने से पहले, दामोदर नदी से मिलती है।
फिर यह हुगली नदी, नूरपुर में गंगा के एक पुराने चैनल में प्रवेश करती है और बंगाल की खाड़ी में सामाने के लिए दक्षिण की ओर मुड़ जाती है। लेकिन, गंगा की मुख्य धारा को अभी भी ओर सफर तय करना होता है। यह धारा नबाबगंज के पास भारत से बांग्लादेश में प्रवेश करती है।
गंगा नदी को बांग्लादेश में पद्मा नदी (Padma River) के नाम से जाना जाता है। जैसा ही गंगा पश्चिम बंगाल से बांग्लादेश में पहुँचती है, दक्षिण की ओर जाते हुए कई ओर सहायक नदियाँ इस विशाल धारा में जुड़ती जाती हैं। बांग्लादेश में गंगालुंडो घाट के पास पद्मा ब्रह्मपुत्र (जिसे बांग्लादेश में जमुना या जोमुना कहा जाता है) से जुड़ती है। फिर यह संयुक्त धारा बांग्लादेश के चांदपुर में ब्रह्मपुत्र की एक ओर शाखा मेघना नदी से मिलती है। मेघना नदी अंततः बंगाल की खाड़ी में बहती है। इसके बाद यह पूरणता बांग्लादेश में बहती है।
उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट होता है कि गंगा और ब्रह्मपुत्र के विभिन्न वितरण बंगाल की खाड़ी के साथ मिलते हैं और ये गंगा डेल्टा या गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा नामक दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा बनाते हैं। वे पानी के नीचे बंगाल फैन (Bengal Fan) भी बनाते हैं, जो पृथ्वी पर सबसे बड़ी सबमरीन फैन (Submarine Fans) में से एक है। यह फैन लगभग 3000 किमी लंबा, 1000 किमी चौड़ा है जिसकी अधिकतम मोटाई 16.5 किमी है।
गंगा नदी का रूट अत्यंत ही लम्बा है। गंगा हिमालय से उदय होकर बंगाल की खड़ी तक लम्बा सफर करती है। यह भारत के आधे राज्यों से होकर गुजरती है और जन जन का कल्याण करती हुई अपने गन्तव्ये पर पहुँचती है।