महाभारत शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में अनेको किस्से तथा कहानियाँ घूमने लगती है। महाभारत के हर दृश्य हर पात्र से जुड़ी अनेको कहानियाँ प्रचलित है। महाभारत का एक मुख्य पात्र है गांधारी। गांधरी का जीवन भी अनेको रहस्यों से भरा हुआ है। गांधारी के जीवन का एक सबसे बड़ा रहस्य है 101 बच्चों को जन्म देना। अब आप सोचिए ये कैसे संभव है की कोई औरत एक साथ 100 बच्चों को जन्म दे। है न यह असंभव। यदि आपके मन में भी यह सवाल बार बार आता है तो आज आपको इस सवाल का जवाब मिलने वाला है।
हम आपको बताएंगे की कैसे गांधारी ने एक साथ 101 बच्चों को जन्म दिया। इस रहस्य को जानने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़े।
गांधारी ने 101 बच्चों को कैसे जन्म दिया?
लगभग 3,500 साल पहले, ऋषि व्यास हस्तिनापुर आए थे। हस्तिनापुर की तत्कालीन रानी, गांधारी ने ऋषि की इतनी अच्छी तरह से सेवा सत्कार किया कि वह उनकी भक्ति से प्रसन्न हो गए। उन्होंने गांधारी से कहा की वह कुछ भी वरदान मांगे। रानी को 100 पुत्र चाहिए थे और उन्होंने उनसे उसकी इच्छा प्रकट की। इसके उपरान्त गांधारी गर्भवती हो गई लेकिन दो साल बाद भी उन्होंने किसी भी बच्चे को जन्म नहीं दिया।
ऐसा कहा जाता है कि कुंती (पांडु की पत्नी) और गांधारी (धृतराष्ट्र की पत्नी) दोनों एक ही समय में गर्भवती थी। कुंती ने युधिष्ठिर को जन्म दिया लेकिन गांधारी को दो साल का लंबा इंतज़ार करने के बाद भी कुछ प्राप्त नहीं हुआ। ईर्ष्या के कारण क्रोध करते हुए, कि कुंती का बेटा अब सिंहासन का उत्तराधिकारी होगा, गांधारी ने उसके गर्भवती पेट पर जोर से प्रहार किया, जिसके परिणामस्वरूप एक अजीब गर्भपात हो गया।
जब उसे आखिरकार प्रसव हुआ, तो वह सिर्फ एक मांस का टुकड़ा था। निराश होकर उसने इसे फेंकने का फैसला किया। तब ऋषि व्यास का आगमन हुआ और उन्होंने गांधारी को बताया कि उनका वरदान कभी व्यर्थ नहीं जा सकता। तब ऋषि व्यास ने 100 मटके मंगवाए और हर एक मटके को घी से भरने के लिए कहा, फिर उसमे मांस का एक टुकड़ा रख दिया।
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दो साल बीत गए और इस लम्बे इंतज़ार के बाद जब वो रात आयी तो वो बहुत ही भयंकर रात थी। जब चिंतित गांधारी ने घड़े को खोला, तो उसमें से प्रत्येक टुकड़े में से एक बच्चा निकला। सबसे बड़े बालक का नाम दुर्योधन रखा गया।
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दुर्योधन के जन्म से जुडी एक कथा आदिपर्व में मिलती है। आधिपर्व के अनुसार, (अध्याय११४, स्लोका१४) जब दुर्योधन जन्म हुआ और वो रोने लगा, तो कई जानवर भी उसके साथ रोने लगे। वो बहुत ही भयानक रात थी सब जगह अँधेरा छा गया था, तूफ़ान आने लगा था। हर कोई डर से काँप रहा था। महाराज धृतराष्ट्र के सलाहकार विदुर ने कहा था कि यह एक बहुत ही बुरा शगुन है यह बालक अंधकार लाएगा इसलिए उन्होंने गांधारी और धृतराष्ट्र को इसे छोड़ने के लिए कहा। परन्तु ऐसा नहीं हुआ और बाकी इतिहास (महाभारत) सबके सामने है।
गांधारी के 101 बच्चों (कौरवों) के नाम।
- दुर्योधन,
- दु:शासन
- दुस्सह
- दुश्शल
- जलसंध
- सम
- सह
- विंद
- अनुविंद
- दुद्र्धर्ष
- सुबाहु
- दुष्प्रधर्षण
- दुर्मुर्षण
- दुर्मुख
- दुष्कर्ण
- कर्ण
- विविंशति
- विकर्ण
- शल
- सत्व
- सुलोचन
- चित्र
- उपचित्र
- चित्राक्ष
- चारुचित्र
- शरासन
- दुर्मुद
- दुर्विगाह
- विवित्सु
- विकटानन
- ऊर्णनाभ
- सुनाभ
- नंद
- उपनंद
- चित्रबाण
- चित्रवर्मा
- सुवर्मा
- दुर्विमोचन
- आयोबाहु
- महाबाहु
- चित्रांग
- चित्रकुंडल
- भीमवेग
- भीमबल
- बलाकी
- बलवद्र्धन
- उग्रायुध
- सुषेण
- कुण्डधार
- महोदर
- चित्रायुध
- निषंगी
- पाशी
- वृंदारक
- दृढ़वर्मा
- दृढ़क्षत्र
- सोमकीर्ति
- अनूदर
- दृढ़संध
- जरासंध
- सत्यसंध
- सद:सुवाक
- उग्रश्रवा
- उग्रसेन
- सेनानी
- दुष्पराजय
- अपराजित
- कुण्डशायी
- विशालाक्ष
- दुराधर
- दृढ़हस्त
- सुहस्त
- बातवेग
- सुवर्चा
- आदित्यकेतु
- बह्वाशी
- नागदत्त
- अग्रयायी
- कवची
- क्रथन
- कुण्डी
- उग्र
- भीमरथ
- वीरबाहु
- अलोलुप
- अभय
- रौद्रकर्मा
- दृढऱथाश्रय
- अनाधृष्य
- कुण्डभेदी
- विरावी
- प्रमथ
- प्रमाथी
- दीर्घरोमा
- दीर्घबाहु
- महाबाहु
- व्यूढोरस्क
- कनकध्वज
- कुण्डाशी
- विरजा
- दुश्शला
Thanks for it sir. Aise hi bahut si anya jankariyan batate rahe . Thank you so much sir.