रामेश्वरम् – एक ऐसा मंदिर जहाँ दर्शन से पहले 22 तीर्थो के जल से स्नान करना पड़ता है।

Rameshwaram_Mandir_Facts
शेयर करें

हमारी भारतीय संस्कृति अद्भुत ,अविश्वसनीय तथा अकल्पनीय है। हमारे पुराणों, ग्रंथो तथा काव्यों में मंदिरो और तीर्थ स्थलों से जुड़े अनेको ऐसे रोचक रहस्य लिखे गए है, जिन्ह पर विश्वास करना जरा कठिन है। परन्तु भक्तों की अटूट श्रद्धा इन बातों को सत्य कर देती है। ऐसी ही एक अद्भुत बात प्राचीन रामेश्वरम् मंदिर से जुडी है, कहा जाता है वहाँ दर्शन करना सरल नहीं है। दर्शन करने के लिए भक्तो को अपने आप को शुद्ध करना होता है, जिसके लिए  22  बार स्नान पड़ता है। है ना एक रोचक बात…

तो चलिए आपको बताते है एक ऐसे मंदिर के बारे में जहाँ दर्शन से पहले 22 तीर्थो के जल से स्नान पड़ता है।

भारत में कुल 12 ज्योर्तिलिंग है, इन 12 में से  2 ज्योर्तिलिंग (श्रीसेलम और रामनाथस्वामी ज्योर्तिलिंग) दक्षिण भारत में हैं। रामेश्वरम् मंदिर दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु के समुद्र तट पर स्थित है। रामेश्वरम् मंदिर भारत के प्रमुख तथा पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है। इस मंदिर महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि बारह स्थापित ज्योतिर्लिंग में से एक, रामनाथस्वामी ज्योर्तिलिंग इसी मंदिर में मौजूद है। लिंग के रूप में इस मंदिर में मुख्य भगवान श्री रामनाथस्वामी को माना जाता है। इसलिए रामेश्वरम् मंदिर को रामनाथस्वामी मंदिर भी कहा जाता है।

रामेश्वरम् मंदिर में ज्योर्तिलिंग की स्थापना

रामेश्वरम् मंदिर में रामनाथस्वामी ज्योर्तिलिंग की स्थापना प्रभु श्रीराम ने की थी। कहा जाता है कि इस शिवलिंग का निर्माण उस समय हुआ था, जब श्रीराम लंका के राजा रावण से युद्ध करने की तैयारी कर रहे थे। तब भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए श्रीराम ने समुद्र की बालू की रेत से इस शिवलिंग का निर्माण कर उस पर जल चढ़ाया था। इस शिवलिंग की पूजा अब रामनाथस्वामी ज्योर्तिलिंग के रूप में की जाती है।

इसके अलावा एक और कथा है जिसके अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब भगवान राम महापापी राक्षस रावण का विनाश कर वापस आए, तो उन पर ब्राह्मण हत्या का पाप लगने की बात कही गई। जिसके पश्चाताप के लिए ऋषियों ने श्रीराम को यहाँ शिवलिंग की स्थापना करके, भगवान् शिव की पूजा करने के लिए कहा, जिसे वह ब्रह्महत्या अर्थात रावण के वध के पाप से मुक्ति पा सकते हैं। इसके लिए भगवान ने वीर हनुमान को कैलाश पर्वत पर एक लिंग लाने के लिए भेजा परंतु वह लिंग लेकर समय पर वापस ना लौट सके, इसीलिए माता सीता ने खुद रेत का एक लिंग बनाया और भगवान राम ने उसकी पूजा करी जिसे ‘रामलिंग’ कहा गया। हनुमान दुवारा लाये गए लिंग को भी रामलिंग के साथ में स्थापित किया और उसका नाम रखा ‘वैश्वलिंगम’। इसी कारण इन ज्योर्तिलिंग की पूजा यहाँ की जाती है। हालांकि इस कथा का महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण में कोई प्रमाण नहीं है।

 22 तीर्थ स्नान या कुंड स्नान
Rameshwaram_Mandir_Facts

  • रामेश्वरम् मंदिर में सभी भक्तों को ज्योर्तिलिंग के दर्शन कराने से पहले 22 तीर्थों के जल से स्नान कराया जाता है।
  •  तीर्थ स्नान का आरंभ सबसे पहले अग्नि तीर्थ में डुबकी लगाने से शुरू होता है। सभी इस मुख्य मंदिर से कुछ ही दूरी पर समुद्र में स्नान करते हैं जिसे अग्नि तीर्थ कहते है। उसके बाद रामेश्वरम् मंदिर में प्रवेश करते हैं।
  • अग्नि तीर्थ में स्नान के बाद 22 तीर्थों के जल से स्नान का समय आता है। ये सभी तीर्थ या कुंड रामेश्वरम् मंदिर के परिसर के अंदर ही है।
  •  इन 22 तीर्थों पर जल से स्नान कराने के लिए 50 रुपए की टिकट है।
  •  रामेश्वरम् मंदिर के अंदर जाते ही तीर्थों के कुंड से स्नान कराना शुरू हो जाता है। सबसे पहला कुंड जो महालक्ष्मी तीर्थम है। यह एक ताजे पानी का कुआं है, जहाँ कुछ आदमी रस्सी से बंधी हुई एक छोटी बाल्टी के साथ खड़े रहते है, और बाल्टी से पानी खींचकर लगातार लोगों पर डाल रहे होते हैं।
  • सभी 22 कुंड एक स्थान पर नहीं हैं, यह मंदिर में अलग अलग स्थान पर फैले हुए है। भक्तों की सुविधा के लिए तथा  निर्देशित करने के लिए उचित साइन बोर्ड लगे हुए हैं।
  • महालक्ष्मी तीर्थम के साथ गायत्री तीर्थम, सावित्री तीर्थम, सरस्वती तीर्थम,सेठुमधव तीर्थम, गंधमादव तीर्थम, गव्य तीर्थम, कवचा तीर्थम, नाल तीर्थम, नीला तीर्थम, शंकु तीर्थम, चक्र तीर्थम,  ब्रह्मादि विमोचन तीर्थम, सूर्य तीर्थम, चन्द्र तीर्थम, गंगा तीर्थम, यमुना तीर्थम, गया तीर्थम, शिव तीर्थम, सर्व तीर्थम, सत्यम तीर्थम तथा कोडी तीर्थम है। यहाँ एक विश्वास है कि कोडी थीर्थम से स्नान पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के बराबर है।
  •  इसी तरह सभी तीर्थों के कुंड से स्नान करने के बाद कपड़े बदले जाते हैं, फिर उस भव्य तथा अद्भुत शिवलिंग के दर्शन होते हैं, जिसे प्रभु श्रीराम ने अपने हाथों से रेत से बनाया और स्थापना करी थी।
  •  इस पूरी प्रक्रिया में करीब 2 घंटे लगते हैं, तब जाकर रामनाथस्वामी ज्योर्तिलिंग के दर्शन होते हैं।
  • समुंदर के किनारे पर कुंडों में मीठा जल कैसे? कहा जाता हैं कि भगवान श्रीराम ने अपनी सेना की प्यास भुझने के लिए, अपने बाणों से इन कुंडों का निर्माण किया था। जिसके कारण समु्द्र के खारे पानी के किनारे पर कुंडों में मीठा जल निकलता है।
  • हर कुंड के साथ एक हरे रंग का बोर्ड लगा हुआ है जो महाकाव्य रामायण के उपाख्यानों को वयाख्यान करता है, इसके अनुसार 22 तीर्थों के जल से स्नान करके आपके शरीर से सभी पाप धूल जाते है। सभी कुंड से स्नान करते हुए जब आप 22 वें कुंड में पहुंचते हैं तब ऐसा ही अनुभव होता है तक आप सभी पापों से मुक्त हो गए है और आत्मा पर रखा बोझ हल्का हो गया।
  • वैज्ञानिकों के अध्ययन के अनुसार भी, कुंडों के पानी से स्नान करने से शरीर के कई रोगों से छुटकारा भी मिलता है।
  • यहां कुल 24 कुंड हैं जिनमें से दो कुंड सूख गए हैं। केवल  22 कुंडों में पानी है, पर स्नान 21 कुंडों पर करवाया जाता है, क्योंकि 22वें कुंड मे सभी कुंडों का पानी है।
  • रामेश्वरम् मंदिर का समय : 4.30 AM – 1 PM, 3 PM – 8.30 PM है।

शेयर करें

Related posts

Leave a Comment