दशहरा (Dussehra) या विजय दशमी से जुड़े 20 अद्भुत तथ्य।

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दशहरा (Dussehra) का उत्सव बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतिक है। यह वह दिन है जब भगवान राम ने राक्षस राजा रावण का वध किया था और देवी दुर्गा ने एक लंबी लड़ाई के बाद राक्षस महिषासुर का नाश किया था। सबसे पहला दशहरा (Dussehra) भगवान राम की विजय के प्रतीक के रुप मे ही मनाया गया था। दशहरा या विजयादशमी मनाना हमें याद दिलाता है कि, कई बार ऐसा लगता है कि बुराई सबसे ज्यादा ताकतवर है सबसे सर्वोच्च है, परन्तु अंत मे विजय अच्छाई की होती है।

हर साल की तरह इस साल भी, भारत में नवरात्री के साथ त्योहारो की शुरुआत हो गयी है। आम तौर पर अक्टूबर या नवंबर के महीने में दशहरा आता है, दशहरे के ठीक 20 दिन बाद अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है। आपने बचपन मे हम सब ने इस त्यौहार के बारे में बहुत सी कहानियाँ और कथाएँ सुननी है। तो इसलिए हमने सोचा हम आपको दशहरे के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य बताए जो आप अभी तक नहीं जानते हैं।

दशहरा (Dussehra) से जुड़े 20 अद्भुत तथ्य।

1. दशहरा संस्कृत के शब्द दश – हारा से आता है, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद ‘सूर्य की हार’ है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, यदि भगवान राम ने रावण को नहीं हराया होता, तो सूर्य फिर कभी नहीं उदय होता। कुछ संस्कृतियों में, दशहरा को विजय दशमी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “दसवें दिन विजय”। यह असुर महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत के प्रतिक है, जिसे विजय दशमी के रूप में मनाया जाता है।

2. महिषासुर राक्षसों का राजा था, और बहुत शक्तिशाली था। वह निर्दोष लोगों पर अत्याचार करता। महिषासुर के बुरे कार्यों को समाप्त करने के लिए, त्रिदेवो (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) की सामूहिक शक्तियों द्वारा, शक्ति (माँ दुर्गा) का सृजन किया गया था।

3. दशहरा हिंदू कैलेंडर के 10 वें महीने अश्विन में पूरे भारत मे मनाया जाता है। यह अक्टूबर या नवंबर के आसपास होता है।

4. भारत में सबसे प्रसिद्ध दशहरा उत्सव मैसूर शहर में मनाया जाता है। इस दिन देवी चामुंडेश्वरी की पूजा की जाती है। सजे हुए हाथी के ऊपर एक सुनहरी पालकी में देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा को रखा जाता है और शहर भर में उनकी मूर्ति की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। शहर की सभी प्रमुख इमारतों को रोशनी से सजाया जाता है।

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image via- Lava1996, Mysore ambari, CC BY-SA 4.0

5. दक्षिण भारत के तमिलनाडु में, दशहरे के उत्सव को गोलू (Golu) कहा जाता है। इसमें मूर्तियाँ द्वारा विभिन्न दृश्यों को दर्शया जाता हैं जो उनकी संस्कृति और विरासत की पहचान हैं।

6. भारत का अन्य प्रसिद्ध दशहरा समारोहों हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कुल्लू (Kullu) मे होता हैं। इस विशाल उत्सव में भाग लेने के लिए देश भर से लोग कुल्लू आते है। कुल्लू को देवताओं की घाटी (Valley of Gods) भी कहा जाता है। यह नवरात्रि के दसवें दिन से शुरू होता है, अर्थात् दशहरा पर शुरू होता है और उसके बाद एक सप्ताह तक जारी रहता है। यह भगवान रघुनाथ के साथ घाटी के अन्य देवताओं के जुलूस के साथ शुरू होता है।

7. उत्तर भारत में नवरात्री एक दस दिवसी उत्सव होता है नवरात्री के दसवें दिन दशहरा (Dussehra) मनाया जाता है। इन नौ दिनों मे माँ दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। कथाओं के अनुसार माँ दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच 10 दिनों तक युद्ध चला था, माँ ने इन नौ दिनों मे नौ अलग अलग रूप धारण किये थे, और दसवे दिन महिषासुर का वध हुआ था।

8. दशहरा (Dussehra) केवल भारत में ही नहीं बल्कि,अन्य कई देशों में भी समान उत्साह के साथ मनाया जाता है, जैसे बांग्लादेश, नेपाल और मलेशिया। दशहरे के दिन मलेशिया में एक राष्ट्रीय अवकाश होता है। इन सभी देशो की आबादी का काफी बड़ा हिस्सा हिन्दुओ का है।

9. नवरात्री के पहले दिन मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोने की परंपरा हैं, इसे खेत्री बीजना कहा जाता है। माँ दुर्गा से तरक्की और उन्नति का आशीर्वाद पाने के लिए इनको बोया जाता है और दशहरे के दिन, ये बीज किस्मत के प्रतीक के रूप में उपयोग किए जाता हैं। पुरुष उन्हें अपनी टोपी में या उनके कान के पीछे रखते हैं।

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10. नवरात्रि के 10 दिनों मे पूरे देश में अलग अलग स्थान पर रामलीला का आयोजन किया जाता है। नवरात्री के दसवें दिन या अंतिम दिन अर्थात दशहरे के दिन, भगवान राम द्वारा रावण को पराजित करने का दृश्य होता है। रावण के अंत को चिह्नित करने के लिए, रावण का एक पुतला जलाया जाता है। दिल्ली के रामलीला मैदान (Ramleela Maidan) में सबसे भव्य रामलीला का आयोजन किया जाता है। इसमें भारत के प्रधान मंत्री सहित कई महत्वपूर्ण हस्तियाँ भाग लेती है।

11. दशहरा (Dussehra) खरीफ फसलों की कटाई और रबी फसलों की बुआई का संकेत है। दशहरे के बाद, किसान खरीफ की फसल काटते हैं और दिवाली के बाद रबी की फसल लगाते हैं। यह किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।

12. दशहरा (Dussehra) मॉनसून मौसम के अंत का भी प्रतीक है क्योंकि दशहरा के त्योहार के बाद मौसम मे परिवर्तन होता है। गर्मियों का अंत होता हैं, और सर्दियों का स्वागत का समय आता है। एक अन्य लोकप्रिय धारणा यह है कि रावण के पुतले को जलाने के बाद हवा में एक नमी सी हो जाती है।

13. कुछ कथाओं के अनुसार देवी दुर्गा, अपने बच्चों, लक्ष्मी, गणेश, कार्तिक और सरस्वती के साथ कुछ समय के लिए पृथ्वी पर अपने जन्मस्थान पर आती है और दशहरे के दिन, वह अपने पति भगवान शिव के पास लौट जाती है। देवी दुर्गा के धरती पर (अपने घर) वापस आने के कारण, इस दिन विवाहित महिलाएँ भी उनके घर वापस जाती है।

14. रावण आधा दानव और आधा ब्राह्मण था। उनके पिता ईशवश्रेवा थे, जो पुलस्त्य वंश से संबंधित थे। उनकी माता कैकसी एक दानव थीं। रावण एक कुशल सेनानी और वेदों तथा ज्योतिष का जानकार था।

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15. पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण के 10 सिर, छह शास्त्रों और चार वेदों के ज्ञान का प्रतीक हैं, जो उन्हें पौराणिक कथाओं में सबसे बौद्धिक व्यक्ति बनाते हैं। इसके अलावा, 10 सिर 10 मानवीय भावनाओं या बुराईओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो काम वासना (Lust), क्रोध (Anger), मोह (Attachment), लोभ (Greed), अभिमान (Pride), स्वार्थ (Selfishness), ईर्ष्या (Jealousy), अहंकार  (Ego), मानवता की कमी  (Lack of Humanity) और अन्याय (Injustice) है। दशहरे पर रावण के जलते हुए पुतलेआत्मा की इन सभी बुराइयों को मारने का संकेत देते हैं।

16. कुछ लोगों का मानना ​​है कि भगवान राम द्वारा रावण को हराने से पहले, देवी दुर्गा ने भगवान राम को दर्शन दिए थे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने देवी दुर्गा से आशीर्वाद लेने के लिए चंडी होमा यज्ञ किया था। तब देवी दुर्गा ने भगवान राम को वरदान दिया और राक्षस राजा रावण को मारने का रहस्य उजागर किया था। इसलिए दशहरा भगवान राम और देवी दुर्गा दोनों की शक्ति को प्रकट करने का प्रतीक भी है।

17. दशहरा (Dussehra) का एक महत्वपूर्ण अर्थ रावण का पुतला जलनाभी है, परन्तु कई स्थानों पर रावण की पूजा भी की जाती है। रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था, उसकी इस भक्ति के कारण ही भारत में कई स्थानों पर रावण की पूजा की जाती है। भारत मे ऐसे 6 स्थान है, इन में मंदसौर (मध्य प्रदेश), बिसरख (उत्तर प्रदेश), गढ़चिरौली (महाराष्ट्र), कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश), मंड्या और कोलार (कर्नाटक) और जोधपुर (राजस्थान) शामिल हैं।

18. दशहरा (Dusshera) केवल हिंदुओं के लिए पवित्र नहीं, बल्कि बौद्ध भी इसे प वित्र दिन मानते हैं। माना जाता है दशहरा ही वह दिन था, जब सम्राट अशोक ने अपने धर्म को बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया था और सम्पूर्ण भारत मे बौद्ध धर्म को फैलाने का संकल्प लिया। कलिंग युद्ध की तबाही और मौतों का नज़ारा देख कर अशोक का मन टूट गया और उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। यही कारण है कि नागपुर की देवभूमि में दशहरा, अशोक दशमी के रूप में मनाया जाता है।

19. दशहरे के बारे में एक कम ज्ञात तथ्य यह है की 13 साल के वनवास पश्चात पांडवों की घर वापसी का दिन दशहरा का दिन ही था। जब पांडवों ने अपना राज्य खो दिया था, तो वे 12 साल के निर्वासन में थे। यह कहा गया था कि यदि उन्हें 13 वें वर्ष में खोजा गया था, तो उन्हें अपना निर्वासन फिर से शुरू करना होगा। इसलिए, अंतिम वर्ष मे, उन्होंने अपने सभी हथियारों को शमी वृक्ष के अंदर छिपा दिया। विजय दशमी के पवित्र दिन पर 13 वें वर्ष की समाप्ति के बाद, पांडव सबके सामने आए। उन्होने अपने हथियारों को पुनः प्राप्त किया और शमी वृक्ष तथा हथियारों दोनों की पूजा की। उसी दिन से, शमी के पेड़ को सद्भावना या अच्छी इच्छा का प्रतीक माना जाता है।

20. केरल में, बच्चों को अक्षरों की दुनिया से परिचित कराने के लिए दशहरे को एक शुभ दिन माना जाता है। तीन से पांच वर्ष की आयु के बच्चों को चावल के दानों की ट्रे पर ‘ओम हरि श्री गणपतये नमः’ मंत्र लिखकर सीखने की शुरुआत की जाती है। समारोह के बाद, स्लेट और पेंसिल उन बच्चों को दी जाती है। समारोह को मलयालम (Malayalam) में एझुथिनिरुथु (Ezhuthiniruthu) कहा जाता है।

भारत एक विविध देश है यहां अनेको धर्म है और अनेको तयोहार है और हर तयोहार के साथ कथाएँ, कहानियाँ और किस्से जुड़े हुए है। दशहरा भी हमारे देश का प्रसिद्ध तयोहार जिसे जुडी अनेको कहानियाँ है। हमने आप तक यह ऐसी ही कुछ जानकारी पहुंचने का प्रयास किया है। हम आशा करते है दशहरा (dussehra) के बारे में यह रोचक तथ्य आपको पसंद आयेंगे और आपके लिए उपयोगी होंगे। 

दशहरा आपके लिए खुशी और समृद्धि लाए।

 

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