मर्यादा पुरषोतम भगवान राम से जुड़ी 12 अद्भुत बातें

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भगवान राम को हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। श्री रामचंद्र, भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। उनके बारे में कई ग्रंथ और कथाएँ लिखी गयी है। तुलसीदास दुवारा रचित सर्वप्रसिद्व, रामचरितमानस में भगवान राम की महिमा का इतना सुन्दर वर्णन किया गया है जो सभी के दिलों को छू जाता है। भगवान श्री राम ने अपने पिता राजा दशरथ के वचनों के सम्मान के लिए सिंहासन छोड़ दिया और अपनी माता कैकेयी की गरिमा के लिए वनवास स्वीकार कर लिया। इसीलिए श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।

आइए भगवान राम से जुड़ी 12 अद्भुत बातें आपको बताते हैं जिनके बारे में आप नहीं जानते होंगे ।

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image via-Shrriramsughir, Lord rama for small essay, CC BY-SA 4.0

1. भगवान राम के लोकप्रिय चित्रण मे उन्हें नीला रंग का दिखाया गया है, परन्तु उनका रंग ऐसा नहीं था। वे इसके विपरीत “मेघ वर्ण” अर्थात “बादलों के रंग” के थे। न तो नीला, न काला, न सफेद।

2. भगवान राम का नाम रघु वंश के गुरु, महर्षि वशिष्ठ द्वारा रखा गया था। उनके नाम का एक महत्वपूर्ण अर्थ था, क्योंकि यह दो “बीज अक्षरों ” से बना था – अग्नि बीज (रा) और अमृता बीज (म)। अग्नि बीज ने अपनी आत्मा और शरीर को महत्वपूर्ण बनाने के लिए सेवा की और शक्ति प्रदान की, वहीं अमृत बीज ने उसे सारी थकान से उबार दिया।

3. श्री राम का विवाह 12 साल की उम्र में हुआ था। विवाह से 10 -15 साल के पश्चात उनको वनवास दिया गया था। जब भगवान राम वनवास गए थे तब उनकी आयु लगभग 27 वर्ष थी।

4. कुछ मान्यताओं के अनुसार, राम अवतार को पूर्ण अवतार नहीं माना जाता है। जी हाँ, श्री राम मानव मात्र थे, उनके पास अपने विष्णु स्वरुप की दिव्य शक्तियां नहीं थीं। उनके इस अवतार में उनके पास 14 कलाएँ थी और सर्वोच्च रूप मे 16 कलाएँ होती है, केवल श्री कृष्ण अवतार में प्रभु की सभी 16 कलाएँ थी। इसके पीछे एक मुख्य उद्देश्य था, रावण के पास वरदान था की उसके मृत्यु कोई नहीं कर सकता सिवाए एक मानव के अर्थात उसका वध केवल एक मनुष्य ही कर सकता था। यदि राम अवतार पूर्ण अवतार होता तो उन्हें मानव के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि राम अवतार को पूर्ण अवतार नहीं माना जाता और इसलिए उन्हें बंदरों की मदद लेनी पड़ी और सीता का अपहरण होने पर वह एक सामान्य इंसान के रूप में रोए।

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5. विष्णु सहस्रनाम नामक पुस्तक मे भगवान विष्णु के एक हजार नामों का संकलन है। भगवान राम का नाम विष्णु सहस्रनाम के 394 वें स्थान पर आता है। अर्थात इस सूची के अनुसार, राम दरअसल भगवान विष्णु का 394 वां नाम है।

6. वनवास के दौरान माता सीता का नाम वैदेही था।

7. लक्ष्मण, भगवान राम और सीता की रक्षा के प्रयास में, वनवास के 14 साल की अवधी मे बिल्कुल भी नहीं सोए थे। यही कारण है कि, वह गुडाकेश के रूप में जाने जाते है,जिसका अर्थ है, नींद को हराने वाला व्यक्ति। इसके विपरीत, लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला, जो अयोध्या में थी, वो 14 साल तक सोती रही, वह अपने और लक्ष्मण दोनों के हिस्से की नींद को पूरी करती रही। उर्मिला रामायण की कहानी में एक कम चर्चित चरित्र थी।

8. राम सेतु का निर्माण वानर सेना द्वारा किया गया था, जो तमिलनाडु के रामेश्वरम से श्रीलंका के मन्नार तक था। इस पुल के मुख्य शिल्पकार “नल” और “नील” थे। उन्होंने पत्थरों पर राम का नाम लिख कर पुल का निर्माण किया था। रामायण अनुसार इस पुल की लंबाई लगभग 30 किमी थी और इसे 5 दिनों में बनाया गया था।

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image via-Mrneutrino, Rock painting at Rama Mandir, Ranikhet, CC BY-SA 3.0

9.गिलहरी के शरीर पर सफेद धारियाँ भगवान राम द्वारा दी गई हैं। राम सेतु के निर्माण के समय सभी जानवर भगववान राम की सहायता कर रहे थे उसमे गिलहरियाँ भी शामिल थी। वह छोटे छोटे पत्थर के टुकड़े लेकर पुल के बीच के अंतर को भर रही थी। पुल के निर्माण मे मदद के लिए उनका पूर्ण समर्पण देख कर, प्रभु अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने प्यार से गिलहरी को अपने हाथ से सहलाया तो गिलहरी के शरीर पर सफेद धारियाँ बन गयी।

10. यह भी कहा जाता है कि रावण से माता सीता की रक्षा करने के लिए और समुद्र पार करने के लिए भगवान राम ने एकादशी का उपवास किया था।

11. राम, भगवान विष्णु का एकमात्र ऐसा रूप है जिसे राजा (राजा राम) के रूप पूजा जाता है। भगवान राम ने ग्यारह हजार वर्षों तक अयोध्या राज्य पर शासन किया। इस स्वर्णिम काल को राम राज्य के रूप में जाना जाता है।

12. भगवान राम की मृत्यु नहीं हो सकती थी क्योंकि हनुमान, भगवान राम को ले जाने के लिए, यमराज को अयोध्या मे प्रवेश करने ही नहीं देते। इसलिए हनुमान का ध्यान हटाने के लिए राम ने अपनी अंगूठी को भूमि पर बनी दरार के माध्यम, भूमि के अंदर गिरा दिया और हनुमान को उसे वापस लाने के लिए भेजा। जब हनुमान पताललोक मे पहुंचे तो उन्होंने वहां के राजा से राम की अंगूठी मांगी। तो उन्होंने हनुमान को एक कक्ष दिखाया जो राम की अंगूठी से भरा हुआ था। तब राजा ने हैरान हनुमान को बताया की, जब समय के चक्र में प्रभु की मृत्यु का समय आता है तब वह अपनी अंगूठी भूमि की दरार से नीचे गिरते है ताकि तुम्हे उनकी रक्षा के दायित्वो से अलग किया जा सके और वह अपना जीवन चक्र समाप्त कर सके।

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